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पुन्नी मेला : सीएम भूपेश ने लगाई आस्था की डुबकी, मांगी प्रदेश की ख़ुशहाली

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रायपुर। कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में खारून तट पर पुन्नी मेले का आयोजन भले ही न हुआ हो पर आस्था का सैलाब आज भी उमड़ा है। सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने कार्तिक पूर्णिमा पर तड़के सुबह खारुन तट में स्नान के बाद दीपदान किया और बाबा हटकेश्वर नाथ के दर्शन किए।

Punni Mela
Punni Mela

आज पुन्नी मेले के दिन खारुन तट पर विराजमान भगवान भोलेनाथ के सैकड़ों साल पुराने मंदिर में पूजाअर्चना कर सीएम भूपेश ने प्रदेश की समृद्धि, खुशहाली, विकास के साथ शांति की कामना की। उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा की सभी को बधाई व शुभकामनाएं दी है।

ग़ौरतलब है कि रायपुर के महादेवघाट में कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगभग 600 सालों से भी पहले से यहां भव्य मेले का आयोजन होता आ रहा है, सम्भवतः ये पहली दफा है जब खारुन किनारे कार्तिक पूर्णिमा पर मेला नहीं हो रहा। दरअसल कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जिले के कलेक्टर ने इस मेले पर इस बरस रोक लगाने का फ़ैसला किया है।

पुन्नी मेले का ऐसा है इतिहास

हटकेश्वर नाथ मंदिर के जानकार बताते  हैं कि तकरीबन 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने खारुन तट पर भगवान शिव की आराधना कर अपने लिए संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी। राजा की भक्ति और तंलिनला देख भगवान शिव ने उनकी मन्नत पूरी कर दी थी, साथ ही उन्हें कार्तिक पूर्णिमा के दिन इसकी खुशी में प्रजा के लिए उत्सव स्वरूप आयोजन करने स्वप्न दिया था। जिस पर राजा ने 1428 में खारुन नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी पूरी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया। तभी से राजा ने इसे हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन आयोजित करने का निर्णय लिया जो परंपरा आज तक कायम है।हालांकि इस आयोजन का स्वरूप बदलकर अब पूजा अर्चना के साथ मेले में तब्दील हो चुका है। कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर इस आयोजन की वजह से इसका नाम पुन्नी मेला पड़ा।