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EPF डेथ क्लेम के लिए नई सहूलियतें, आधार से खाता जोड़े बिना प्रोसेस होगी पूरी

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दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मृत दावेदारों के लिए फिजिकल क्लेम से निपटने के लिए कुछ सहूलियतें दी हैं। इनसे डेथ क्लेम वाले उन खाताधारकों को आसानी होगी, जिनकी आधार डिटेल अकाउंट्स से लिंक नहीं है। ईपीएफओ की ओर से इस संशोधन का ऐलान पिछली 17 मई को किया गया। यह 9 सितंबर, 2020 को जारी पिछले आदेश को अपडेट करता है। इसमें किसी कर्मचारी की मौत होने पर यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के गैर-मौजूदगी में क्लेम सेटलमेंट का प्रावधान है।

नई व्यवस्था को लेकर ईपीएफओ ने क्या कहा

ईपीएफओ के मुताबिक, यह सहूलियतें ई-ऑफिस फ़ाइल के जरिए प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) के अप्रूवल पर निर्भर हैं। फाइल में मृत कर्मचारी की मेंबरशिप और दावेदारों की वैधता को वेरिफाई करने के लिए की गई सत्यापन प्रक्रियाओं का सावधानीपूर्वक डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए। इस प्रोटोकॉल को ओआईसी की ओर से जारी अतिरिक्त उपायों के साथ पूर्ण किया जाना चाहिए, ताकि डेथ क्लेम में किसी तरह की धोखाधड़ी के जोखिम को कम किया जा सके।

ईपीएफओ के सामने क्या थीं चुनौतियां

ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालयों को किसी खाताधारक के निधन के बाद आधार डिटेल को अपडेट करने या सही करने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे क्लेम की प्रोसेसिंग में रुकावट आती है और मृतक कर्मचारी के परिवारों को पीएफ का फायदा पहुंचाने में देरी होती है।

नई सहूलियतें और जरूरी जानकारियां

इन चुनौतियों से निपटने के लिए ईपीएफओ ने डेथ क्लेम को आधार से जोड़ने की जरूरत को खत्म किया। इसका उद्देश्य मृत कर्मचारी के परिवार तक जल्द लाभ पहुंचाना है। हालांकि, ये शर्तें पूरी होनी चाहिए।

प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) से अनुमोदन: प्रत्येक मामले में ई-ऑफिस फ़ाइल के माध्यम से अनुमोदन की जरूरत होती है।
वेरिफिकेशन प्रोसेस: फ़ाइल में मृतक की सदस्यता और दावेदारों की वैधता की पुष्टि के लिए वेरिफिकेश से जुड़े डॉक्यूमेंट होना चाहिए।
उचित परिश्रम: धोखाधड़ी को रोकने के लिए ओआईसी द्वारा निर्देशित उपायों का पालन किया जाना चाहिए।