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शिक्षक भर्ती घोटाला: बची रहेगी शिक्षकों की नौकरी, सशर्त जांच का निर्देश

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दिल्ली। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है कि जिसमें उसने 25,753 टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ की नियुक्ति को अवैध करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इन शिक्षकों की नौकरी बच गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सीबीआई के सामने एक शर्त भी रखी है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि सीबीआई किसी भी अधिकारी या उम्मीदवार के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाएगा।

सत्तारूढ़ दल के इशारे पर काम कर रही CBI

सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देब ने कहा कि हम सभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। 5000-6000 लोगों के लिए 19-20 हजार छात्र, जिन्होंने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की है, उन्हें इस तरह की सजा नहीं मिलनी चाहिए थी। इसलिए, इसे ऊपरी मंच पर चुनौती दी गई थी। सीजेआई की पीठ ने फिलहाल कार्यवाही पर 16 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सरकार सीबीआई के साथ सहयोग कर रही है। लेकिन वे सत्तारूढ़ दल के इशारे पर जांच और कार्रवाई आगे बढ़ा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट गई थी सरकार

दरअसल, 22 अप्रैल को बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सु़नवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियां बेहद कम हैं। अगर नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे तो सिस्टम में क्या बचेगा? लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा। यह सिस्टमेटिक फ्रॉड का मामला है।

बंगाल सरकार से पूछे थे कई सवाल

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कई सवाल पूछे थे। जिसमें एक सवाल यह भी था कि जब भर्ती प्रक्रिया पर सवाल पहले ही उठ रहे थे तो शिक्षकों की भर्ती क्यों की गई? दूसरा सवाल यह था कि वेटिंग लिस्ट में रहने वाले कैंडिडेट्स को नियुक्ति अब तक क्यों नहीं मिली। जबकि बंगाल सरकार की तरफ से पेश वकील ने तर्क दिया था कि हाईकोर्ट को भर्ती रद्द करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी। हालांकि सीबीआई किसी भी अधिकारी या अप्लीकेंट्स के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर पाएगी।