रायपुर। रामनवमी के दिन रायपुर के प्राचीन और ऐतिहासिक माँ महामाया मंदिर में माताओं का दिव्य और भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस स्वरूप में माँ महामाया और देवी समलेश्वरी पुरे साल में केवल दो दिन ही दर्शन देती है।
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इस संबंध में मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “नवरात्रि पर्व की अष्टमी हवन पूर्णाहुति के बाद वाली रात्रि में अर्थात नवमी तिथि की रात्रि में आज मंगलवार / बुधवार की मध्य रात्रि में रायपुर के प्राचीन माँ महामाया मंदिर में श्रीराजराजेश्वरी महामाया मातेश्वरी और देवी समलेश्वरी का “वीर मुद्रा” में भव्य और अलौकिक श्रृंगार किया गया है।
जिसमें माँ पूरे आठों हाथों में शस्त्र धारण करती है। ये बेहद आर्कषक, दुर्लभ एवं दर्शनीय श्रृंगार रहता हैं। यह शस्त्र सिंगार पुरे वर्ष भर में मात्र 2 बार ही नवरात्रि पर्व में ज्योति विसर्जन के दूसरे दिन अर्थात कन्या पूजन राजभोग वाले दिन पूरे दिन दर्शन लाभ प्राप्त किया जाता है।”
कन्या पूजन व राजभोग
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “प्राचीन परम्परा के अनुसार महामाया मन्दिर में मंगलवार की मध्य रात्रि ज्योति विसर्जन के बाद बुधवार को कन्या पूजन किया गया। कन्या पूजन के समय मन्दिर परिसर में जितनी भी संख्या में कन्या और भैरव रूप में छोटे बच्चे उपस्थित रहते है, सभी की विधि विधान से पूजा करके भोजन कराया जाता है।”
उन्होंने कहा कि इसके बाद मध्यान्ह की आरती साढ़े 12 बजे हुई जो कि नवरात्रि पर्व के सम्पन्न होने वाली मध्यान्ह महाआरती रहती है। इसके पश्चात दोपहर 1 बजे माता जी को राजभोग लगाया गया। नवरात्रि के 9 दिन पर्यन्त केवल मध्यान्ह में फलाहारी भोग ही लगता है लेकिन बुधवार से माता जी को समस्त प्रकार के षडरस व्यंजन का भोग लगेगा। फिर 9 दिन रात तक लगातार खुला रहने वाला मन्दिर कुछ समय विश्राम के लिये बन्द कर दिया जाता है।