दिल्ली। तमिलनाडु में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को एक बार फिर से एक बानगी देखने को मिली।
राज्यपाल आरएन रवि अपना अभिभाषण पूरा किए बगैर ही विधानसभा से बाहर निकल गए। उन्होंने चंद मिनटों के दौरान ही अभिभाषण खत्म कर दिया। राज्यपाल ने राष्ट्रगान के प्रति सम्मान जाहिर नहीं करने के लिए राज्य की डीएमके सरकार पर नाराजगी जाहिर की। इस मुद्दे पर अब भाजपा और द्रमुक के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई।
क्यों नाराज हुए तमिलनाडु के राज्यपाल
राज्यपाल आर एन रवि सदन में अभिभाषण पढ़ रहे थे। इसका लाइव प्रसारण किया जा रहा था। अभिभाषण पढ़ते-पढ़ते रुक गए। फिर कहा कि मैंने बार-बार अनुरोध किया, इसके बाद भी राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान नहीं दिखाया गया। राष्ट्रगान को राज्यपालन के संबोधन और पहले बजाने के अनुरोध की अनदेखी कर दी गई। इस अभिभाषण में कई ऐसी बाते हैं जिनसे मैं तथ्यात्मक और नैतिक आधार पर सहमत नहीं हूं। अगर मैं इसे पढ़ता हूं तो यह एक संवैधानिक उपहास होगा। इसलिए, सभा का सम्मान करते हुए मैं अभिभाषण समाप्त करता हूं। जनकल्याण के लिए हाऊस में सार्थक और स्वस्थ चर्चा की कामना करता हूं।
राज्यपाल को इसका अधिकार है: तिरुपति
तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नारायण तिरुपति ने इस मामले पर द्रमुक की आलोचना की। तिरुपति ने कहा कि राज्यपाल ने कई बार विधानसभा सत्र के शुरू होने और खत्म होने से पहले राष्ट्रगान बजाने की सलाह दी है। पता नहीं द्रमुक को ऐसा करने में क्या तकलीफ हो रही है। भाजपा नेता ने कहा कि राज्यपाल को इस बात का पूरा हक है कि अगर अभिभाषण में गलत आंकड़े है तो उसे हटा दें या अस्वीकार कर दें।