मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज माफी की पेशकश कर कर्जदारों को लुभाने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर चेतावनी जारी की है। ऐसी खबरें हैं कि ऐसी संस्थाएं बिना किसी ऑथोरिटी के कथित कर्ज़ माफी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए सर्विस / लीगल फीस ले रही है।
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RBI ने कहा कि ये संस्थाएं प्रिंट मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी ऐसे कई अभियानों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। जनता को आगाह किया जाता है कि वे ऐसे झूठे और भ्रामक अभियानों का शिकार न बनें और ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट कानून प्रवर्तन एजेंसियों को करे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आगाह किया कि भ्रमित करने वाली ऐसी जानकारी से आम जनता अपना नुकसान करती है, और बैंकिंग प्रणाली में उनके हित भी कमज़ोर होते है। ये भ्रामक सूचनाएं जनता और बैंकिंग सिस्टम दोनों के लिए हानिकारक है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि “यह भी हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ स्थानों पर, कुछ व्यक्तियों द्वारा अभियान चलाए जा रहे हैं, जो बैंकों को दी जाने वाली सिक्योरिटी पर अपने अधिकारों को लागू करने के बैंकों के प्रयासों को कमजोर करते है। ऐसी संस्थाएं गलतबयानी कर रही हैं कि बैंकों समेत वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाने की जरूरत नहीं है।”
ऋण माफी की राजनैतिक घोषणाओं से नुक़सान
आरबीआई के बयान में कहा गया है, “इस तरह की गतिविधियां वित्तीय संस्थानों की स्थिरता और सबसे ऊपर, जमाकर्ताओं के हित को कमजोर करती है।यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसी संस्थाओं के साथ जुड़ने से प्रत्यक्ष वित्तीय नुकसान हो सकता है।”
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हाल के वर्षों में राजनीतिक दलों द्वारा ऋण माफी के बार-बार किए गए वादों ने बैंकिंग प्रणाली के लिए जोखिम पैदा कर दिए है। आमतौर पर जब ऋण माफी की घोषणा की जाती है तो उधारकर्ता बैंकों को अपनी किश्तें चुकाना बंद कर देते हैं, जिससे बेड लोन बढ़ जाते है।