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राईस मिलर का ऑडियो वायरल, पैसे नहीं मिलने पर आत्महत्या…

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जांजगीर। छत्तीसगढ़ में राइस मिलर्स को अपना भुगतान लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे है। इस मामलें में मिलरों ने पिछली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है। मिलरों ने अफसरों और सरकार पर भुगतान नहीं करने के साथ ही प्रताड़ित करने के आरोप लगाए है।

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इधर एक मिलर का ऑडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें मिलर भुगतान नहीं होने की स्थिति में खुद को परेशान बता रहा है। मिलर का ये ऑडियों कथित तौर पर मार्कफेड के प्रबंध संचालक को भेजा गया है। जिसमें उसने भुगतान नहीं होने की वज़ह से आत्महत्या करने जैसी गंभीर बात भी कही है।

सुनिए वायरल ऑडियो…

गौरतलब है कि बीते तीन सालों से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भुगतान नहीं किए जाने के बाद कई मिलें बंद होने की स्थिति में है। स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वह इस बार की धान मिलिंग के लिए नई बैंक गारंटी नहीं बन पा रहे है। प्रदेश के राईस मिलरों का कहना है कि “साल 2019-20 से लेकर 2022-23 तक का भुगतान नहीं हुआ है। ये राशि कुल मिलकर तक़रीबन साढ़े चार हज़ार करोड़ की होती है। आज मिलरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। कई मिलर आत्महत्या जैसी बात पर उतर आए हैं।

योगेश बोले : बहरी थी पिछली सरकार, नई से उम्मीदें

इधर इस वायरल ऑडियो के संबंध में जब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल से चर्चा की गई। योगेश ने इस मामलें में कहा कि ये एक मिलर की व्यथा है जो पैसे नहीं मिलने पर सामने आई है। ये व्यथा आज प्रदेश के 2500 मिलरों की है। पिछली सरकार ने 3 साल से 4500 करोड़ से भी ज्यादा की रकम का भुगतान राइस मिल मालिकों को नहीं किया। इस संबंध में खाद्य सचिव और मार्कफ़ेड प्रबंधन से पत्राचार, मुलाकात और कई दौर की बैठकों के बाद भी भुगतान नहीं हुआ। अब हमें प्रदेश की नई सरकार से उम्मीदें है। सरकार गठन के बाद जिस तरह धान का बकाया बोनस दिया जाएगा उसी तरह प्राथमिकता के आधार पर मिल मालिकों को भुगतान किया जाएगा ये उम्मीद हम नई सरकार से कर रहे है।

भाजपा सरकार में समय से मिलता था भुगतान

इधर राइस मिलरों ने कहा कि भाजपा की सरकार में मिलरों को अपने भुगतान के लिए कभी भी इन परिथितियों का सामना नहीं करना पड़ा जो आज निर्मित हुई है। कांग्रेस की पिछली सरकार में 4 सालों का 45 हज़ार करोड़ रुपए बक़ाया है। इस बक़ाया भुगतान के लिए मिलरों ने मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाए। उनके मौख़िक निर्देश के बाद भी भुगतान नहीं हुआ। वहीँ भाजपा की सरकार में हर सत्र में दो किश्तों में मिलरों को भुगतान किया जाता है। इस लिहाज़ से भी मिलरों को प्रदेश की नई सरकार से उम्मीदें बंधी है।

कांकेर के मिलर गंवा चुके है अपनी जान

भुगतान को लेकर परेशान कांकेर जिले के राइस मिल मालिक कमल गुप्ता लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। भुगतान नहीं होने की वजह से कमल बेहद परेशान भी रहते थे। अचानक बीते दिनों कमल गुप्ता की तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया। इलाज के दौरान यह बात सामने आई की कमल गुप्ता को ब्रेन हेमरेज हुआ है, जिसकी एक वजह अत्यधिक मानसिक तनाव को भी बताया गया है। उनके परिजनों ने बताया की मिलिंग की राशि का भुगतान नहीं होने की वज़ह से वे बहोत परेशान थे, क़र्ज़ का भी बोझ उनपर बढ़ रहा था। मिलिंग का भुगतान लेने के लिए उन्होंने हर सरकारी दफ्तरों में चक्कर काटें पर उन्हें भुगतान नहीं हो पाया था।

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किस साल का कितना भुगतान बाक़ी (लगभग)

0 2018–19 : 300 करोड़

0 2019–20 : 500 करोड़

0 2020–21 : 600 करोड़

0 2021–22 : 1100 करोड़

0 2022–23 : 2000 करोड़