मुंबई। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन बताया। खेल की राष्ट्रीय संस्था को अंतर्राराष्ट्रीय संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने समय पर चुनाव न कराने के कारण निलंबित कर दिया है।
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युवा मामले और खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बजरंग, साक्षी और विनेश के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पहलवानों की नियुक्ति के बाद दिन-प्रतिदिन के कार्यों के संचालन के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया है, जिसके बाद से भारतीय कुश्ती महासंघ अधर में है।
विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न और समग्र कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए दिल्ली में जनता मंतर पर धरने पर बैठे थे। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा चुनावों के खिलाफ अंतरिम रोक लगाए जाने के कारण नए प्रशासकों को चुनने के लिए चुनावों में और देरी हो गई।
भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों में देरी होने के कारण यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने गुरुवार को भारतीय संस्था को निलंबित कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय पहलवानों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ध्वज के तहत लड़ना होगा। एक्स पर इसी तरह के एक संदेश में साक्षी और बजरंग दोनों ने कहा कि बृज भूषण शरण सिंह के कारण भारतीय पहलवान अब राष्ट्रीय ध्वज के नीचे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने लिखा, “आज भारतीय कुश्ती के लिए एक काला दिन है। बृजभूषण और उनके साथियों के कारण देश के पहलवान तिरंगे के साथ भाग नहीं ले पाएंगे।
बृजभूषण और उसके आदमी रेसलिंग फेडरेशन से क्या निकालना चाहते हैं। ये वो लोग हैं जिनका कभी डिस्ट्रिक्ट लेवल पर भी मेडल नहीं आया, क्या ये देश के इंटरनेशनल खिलाड़ियों का शोषण करने के लिए फेडरेशन में पड़े हैं। इनकी वजह से अब भारतीय पहलवान तिरंगे के नीचे नहीं खेल पाएँगे। इनको उठाकर…
— Sakshee Malikkh (@SakshiMalik) August 25, 2023
भारतीय कुश्ती के लिए आज काला दिन है. बृजभूषण और उसके गुर्गों के कारण देश के पहलवान तिरंगे के साथ नहीं खेल पाएँगे. तिरंगा देश की शान है और हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह जीतने के बाद तिरंगा को मैदान में लेकर दौड़े. ये बृजभूषण और उसके आदमी देश का कितना नुक़सान करेंगे.
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) August 24, 2023
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यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने के साथ अब यह आईओए द्वारा नियुक्त समिति पर निर्भर है कि वह रास्ता साफ करे और जल्द से जल्द चुनाव कराए, ताकि वे निलंबन हटवा सकें। हालांकि न तो बृजभूषण और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य मैदान में है, लेकिन उनके करीबी सहयोगी संजय सिंह ने शीर्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था।