रायपुर। इस बार भी पिछले साल की तरह रक्षाबंधन को लेकर शंका है कि रक्षाबंधन 30 को करें या 31 को ? ऐसे में भाइयों के कलाइयों पर बहने राखी कब बांधेंगी इसके लिए कई तरह के तर्क कुतर्क सोशल मीडिया में वायरल भी हो रहे है जिससे भरम की स्थिति बन रही है। ऐसे में हमारी टीम श्री महामाया देवी मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के पास इस शंका को लेकर समाधान निकालने पहुंची।
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भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधने के मुहूर्त और दिन को लेकर हमारी टीम ने पंडित मनोज शुक्ला से विस्तृत चर्चा की। पं. शुक्ला ने बताया कि रक्षाबंधन 30 को करें या 31 अगस्त को ये सवाल सभी के मन में है और इससे जुडी कई तरह की चर्चा, अफवाहें भी व्हाट्सअप, फेसबुक जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में वायरल हो रहे है।
इसका कारण यह है कि 30 अगस्त बुधवार को पूर्णिमा और भद्रा दोनों ही एक साथ सुबह 10.58 बजे से आरम्भ हो रहा है। भद्रा रात्रि 9.02 तक है। शास्त्रों में बताया गया है कि भद्राकाल में रक्षाबंधन नही करना चाहिये। तथा सुबह के समय पूर्णिमा तिथि आरम्भ नही हुआ रहेगा इसलिये सुबह भी नही कर सकते रक्षाबंधन।
पंडित शुक्ला ने आगे बताया कि उपरोक्त शंका का समाधान यही है कि 30 तारीख की रात को 9.02 बजे से रक्षाबंधन कर सकते है। चूंकि बरसात का दिन, रात्रि काल में रक्षाबंधन कर पाना हर किसी के लिये सम्भव तथा व्यवहारिक भी न हो पाए। क्योंकि केवल भाई को ही बहन राखी बांधे ऐसा नही है,
पुरोहित अपने यजमान को भी रक्षासूत्र बांधते है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी परंपरा है कि ग्राम पुरोहित अपने पुरोहिती गांव के समस्त घरों में जाकर अपने यजमानों तथा उनके कार्यक्षेत्र से सम्बंधित उपकरणों आदि में भी रक्षाबंधन करते है। पशुपालक अपने पाले हुए गौधन में, व्यापारी अपने तराजू, कलम आदि में, प्रकृति प्रेमी अपने लगाये हुए पेड़ पौधों में भी राखी बांधते है।
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पंडित मनोज शुक्ला ने आगे कहा कि इसलिये इस बार के रक्षाबंधन में भद्रा पश्चात रात्रि के समय समस्त राखियों को उपरोक्त मुहूर्त काल मे भगवान के चरणों में अर्पण कर देवें।दूसरे दिन अर्थात 31 तारीख गुरुवार को पूर्व रात्रि भगवान में चढ़ाएं गये राखियों से पूरा दिन भर यह पर्व मनाया जा सकता है। लेकिन 30 की रात को भद्रा पश्चात भगवान में समस्त राखियों को जरूर अर्पण कर दें।