बेंगलुरु। इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा (DPDP) एक्ट विश्वस्तरीय कानून है। यह युवा भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इसने 22 साल पुराने आइटी अधिनियम की जगह ली है। भारत का यह नया कानून पूरी तरह से देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इससे लोगों की निजता की सुरक्षा होगी। यदि कोई संस्था नागरिकों से जुड़े डाटा का दुरुपयोग करेगी तो उसे भारी जुर्माना देना होगा।चंद्रशेखर ने यहां शनिवार को छात्रों, स्टार्टअप और राज्य के विशेष नागरिकों के साथ चर्चा में भाग लिया।
इस दौरान उन्होंने डीपीडीपी एक्ट (DPDP) पर चर्चा की। उन्होंने डीपीडीपी कानून बनने के पीछे की यात्रा को याद किया। उन्होंने बताया कि 2010 में जब वह सांसद थे तो उन्होंने सदन में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था, जिसमें निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने की मांग की थी। दुर्भाग्य से उस समय तत्कालीन यूपीए सरकार को यह बहस आवश्यक नहीं लगी।
विश्वस्तरीय कानून
उन्होंने कहा कि डीपीडीपी एक विश्वस्तरीय कानून है। 15 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘टेकेड’ शब्द लोगों के सामने रखा था। यह छात्रों, युवा भारतीयों के लिए तकनीकी अवसरों से भरे भविष्य के उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है जोकि भविष्य के कार्यबल का हिस्सा होंगे। उन्होंने बताया कि कैसे यह कानून प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप एक व्यापक मिशन के रूप में काम करेगा।
यह प्रौद्योगिकी के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र से सामंजस्य बिठाएगा। उन्होंने कहा कि (DPDP) वर्तमान में इंटरनेट का उपयोग करने वाले भारतीयों की सख्यां 83 करोड़ है और 2025-26 तक यह आंकड़ा 120 करोड़ तक तक पहुंचने का अनुमान है। हम दुनिया में सबसे बड़े कनेक्टेड देश हैं। हम यूरोपीय संघ या अमेरिका का अनुसरण करने के बजाय भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी में अपने स्वयं के मानकों को स्थापित करने के लायक हैं।