रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिंक आई (Conjunctivitis) के मामले लगातार बढ़ने की वजह से इसके वायरस के बदलाव की आशंका जताई जा रही थी। वायरस की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ सैंपलों का कल्चर एंड सेंसिटिविटी की जांच कराई गई है। वायरस में किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।
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संचालक महामारी नियंत्रक डाक्टर सुभाष मिश्रा (Conjunctivitis) ने बताया कि सैंपल की कल्चर जांच मेडिकल कालेज रायपुर में कराया गया था। इसकी रिपोर्ट सामान्य आई है। वायरस में किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में जो-जो दवाएं सामान्य तौर पर कंजक्टिवाइटिस के लिए उपयोग की जा रही हैं, वही दवाएं उपयोग होंगी। बता दें प्रदेश में पिछले 10 दिनों में 20 हजार से पिंक आई के मरीज मिल चुके हैं। अस्पतालों में नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर दिन 30 से 40 प्रतिशत तक पिंक आई के केस आ रहे हैं। खतरा इसलिए है कि यह कोरोना की तरह तेजी से फैलता है। कारण यही है कि एक मरीज को होने के बाद दूसरे व तीसरे को होने में समय नहीं लगता है। पिंक आई के अधिकांश केस पीड़ित के संपर्क में आने की वजह से हो रहे हैं।
लक्षण नजर आए तो लें चिकित्सकीय सलाह
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) आंख की आम बीमारी है, जिसे हम आंख आना भी कहते हैं। इस बीमारी में रोगी की आंख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आंसू आते हैं, चुभन होती है तथा कभी-कभी सूजन भी आ जाती है। कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्राप जैसे जेंटामिसिन, सिप्रोफ्लाक्सिन, माक्सीफ्लाक्सिन, आई ड्राप आंखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए। तीन दिनों में आराम न आने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है। ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है।
इस तरह बरतें सावधानी
चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी (Conjunctivitis) है जो संपर्क से फैलती है। अतः मरीज को अपनी आंखों को हाथ न लगाने की सलाह देनी चाहिए। रोगी से हाथ मिलाने से बचकर एवं उसकी उपयोग की चीजें अलग कर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है। संक्रमित आंखों को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल संपर्क से ही फैलती है।