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मर्दानगी की जांच ब्लड सैंपल से हो, हाईकोर्ट ने दिया एसओपी बनाने के आदेश

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चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने अधिकारियों को किसी आरोपी की मर्दानगी की जांच के लिए रक्त के नमूने (BLOOD SAMPAL) का उपयोग करने के बारे में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि विज्ञान ने प्रगति की है और वीर्य का नमूना एकत्र करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया कि टू-फिंगर टेस्ट बंद कर दिया जाए।

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न्यायाधीश एन. आनंद वेंकटेश और न्यायाधीश सुंदर मोहन की न्यायिक पीठ (BLOOD SAMPAL) विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम और किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए गठित की गई थी। पीठ ने हाल में यह आदेश पारित किया। पीठ एक नाबालिग लडक़ी और लडक़े से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर भी सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि टू-फिंगर टेस्ट और मर्दानगी (BLOOD SAMPAL) जांच का पुराना तरीका बंद हो जाए। पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाएगा कि वे विभिन्न क्षेत्रों के पुलिस महानिरीक्षकों को निर्देश दें कि वे 1 जनवरी 2023 से यौन अपराध से जुड़े सभी मामलों में तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट को देखकर डाटा एकत्र करें और देखें कि क्या पेश की गई किसी रिपोर्ट में टू-फिंगर टेस्ट का संदर्भ है? पीठ ने कहा, यदि ऐसी कोई रिपोर्ट सामने आती है, तो उसे इस अदालत के संज्ञान में लाया जाए। रिपोर्ट के बाद हम आदेश पारित करेंगे। इसी तरह यौन अपराध से जुड़े मामलों में मर्दानगी जांच में अपराधी का वीर्य एकत्र किया जाता है, जो पुरानी विधि है। विज्ञान ने प्रगति की है, लिहाजा केवल रक्त के नमूने एकत्र कर यह परीक्षण करना संभव है।