सूरत। डीआरआई विभाग के अधिकारियों ने चार दिन पहले (GOLD TASKARI) एयरपोर्ट पर शारजाह से सूरत पहुंची फ्लाइट से 25.26 करोड़ रुपए के गोल्ड के साथ एक इमिग्रेशन अधिकारी और तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।
सूरत एयरपोर्ट पर लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। बीते एक महीने में यह तस्करी का पांचवां मामला है। सोना स्मगलिंग करने वालों का पूरा रैकेट है, जो व्यवस्थित तरीके से काम करता है। तस्करी के लिए ज्यादातर ऐसे लोगों का चयन करते हैं, जिन्हें विदेश जाने का शौक हो और कभी विदेश नहीं गए या एक-दो बार ही गए हो। एजेंसियों के सामने जो जानकारी सामने आई है, वह जानकर कोई भी दंग रह जाएगा।
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ड्यूटी बचाने के लिए सारा खेल
भारत में सोना आयात करने पर 14.5 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी (GOLD TASKARI) और तीन प्रतिशत जीएसटी लगता है। अर्थात साढ़े 17 % ड्यूटी चुकानी पड़ती है। ड्यूटी की रकम ज्यादा होने के कारण स्मगलिंग को बढ़ावा मिल रहा है। कई लोग जो की सस्ती कीमत पर सोना चाहते हैं, वे इस तरह के हथकंडे आज़माते हैं। वे यदि एक बार भी सफल हो गए तो उन्हें खासा लाभ होता है। जिसके चलते मात्र सूरत ही नहीं, देशभर के एयरपोर्ट पर आए दिनों गोल्ड तस्करी पकड़ी जाने की खबर मिलती है।
प्रतिस्पर्धा के कारण हो रही तस्करी
सोना छुपाकर (GOLD TASKARI) लाने वाले लोग अक्सर एयरपोर्ट पर ही पकड़े जाते है। वर्तमान समय में व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाने के कारण भी कुछ लोग इस तरह के हथकंडे आजमाते हैं। अन्य सस्ता बेचने के लिए वह रिस्क भी ले लेते हैं। यदि वे सफल हो गए तो उन्हें मुनाफा मिलता है। लालच के फंसे लोग सालभर में कई बार विदेश का चक्कर लगा लेते है।
स्कैनर से बचने के लिए केमिकल
सोना स्कैनर मशीन में डिटेक्ट ना हो, इसके लिए इस पर विशेष प्रकार का केमिकल डाला जाता है। जिससे सोने की डेन्सिटी कम हो जाती है और स्कैनिंग फिल्म में पकड़ा नहीं जाता। जब तक की कोई विशेष जानकारी नहीं हो तब तक ऐसे लोग कस्टम डिपार्टमेंट की नज़र से बच जाते हैं। बीते कुछ समय से इस तरह से ही स्मगलिंग का ट्रेन्ड बढा है। ऐसे लोगों को एक्स-रे में ही पकड़ा जा सकता है।