दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के कुछ हिस्सों में आदिवासी समूहों को समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे से बाहर रखने पर विचार किया जा सकता है।
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को अपनी अध्यक्षता वाली कानून व न्याय संबंधित संसदीय समिति की बैठक में यह विचार रखा। इस बैठक में यूसीसी के स्वरूप को लेकर शुरूआती चर्चा करते हुए उनकी राय ली गई। बैठक में विभिन्न दलों के 17 सांसद एवं विधि आयोग के सदस्य शामिल थे। सबकी राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे संसद में पेश किया जाएगा।
बसपा एवं शिवसेना उद्धव गुट ने यूसीसी का किया समर्थन
विधि आयोग के प्रतिनिधियों ने बताया कि अब तक यूसीसी पर 19 लाख सुझाव मिल चुके हैं। अंतिम तिथि 13 जुलाई तक यह संख्या लगभग 25 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है। सुशील मोदी ने अपने सुझाव में पूर्वोत्तर एवं अन्य आदिवासी क्षेत्रों को प्रस्तावित यूसीसी के दायरे से अलग रखने की बात करते हुए कहा कि सभी कानूनों में अपवाद होते हैं। देश में पहले से भी कई कानून हैं, जिनमें उन्हें कुछ रियायत मिली हुई है।
रिपोर्ट पर बनेगा कानून का नया फ्रेमवर्क
यूसीसी पर बने पिछले आयोग को 75 हजार सुझाव मिले थे, जिसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार भी कर ली गई थी। उसमें कई तरह की विसंगतियों का जिक्र किया गया था, जिसके बाद महसूस किया गया कि यूसीसी पर नए तरीके से विचार किया जाए।
अब नए सुझावों के आधार पर विधि आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार के पास अनुशंसा करेगा, जिसे कानून का रूप देने के लिए संसद में पेश किया जाएगा। इसके पहले जरूरत पड़ी तो संसदीय समिति की और बैठकें भी हो सकती हैं।