कश्मीर। शोपियां के फर्जी रेप-मर्डर मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार ने गुरुवार को दो डॉक्टरों को बर्खास्त (SUSPEND) कर दिया। डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निघाट शाहीन चिल्लो नाम के इन डॉक्टरों की पाकिस्तान की आइएसआइ और आतंकवादी संगठनों से सांठगांठ का खुलासा होने पर यह कार्रवाई की गई। दोनों ने शोपियां की आसिया और नीलोफर नाम की महिलाओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित किया था।
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सूत्रों के मुताबिक दोनों डॉक्टरों का मकसद सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर असंतोष पैदा करना था। सरकार ने जांच के बाद दोनों को बर्खास्त करने के लिए संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया। जांच में स्पष्ट हो गया कि डॉ. बिलाल और डॉ. निगहत ने आइएसआइ और आतंकवादी संगठनों के इशारे (SUSPEND) पर काम किया। सूत्रों के मुताबिक जांच में पता चला कि तत्कालीन सरकार के शीर्ष अधिकारियों को तथ्यों के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने इन्हें दबा दिया। शोपियां में बलात्कार और हत्या के झूठे आरोपों को लेकर कश्मीर घाटी 7 महीने तक सुलगती रही थी। बड़े पैमाने पर दंगे हुए। कानून-व्यवस्था की करीब 600 छोटी-बड़ी घटनाएं सामने आईं। पथराव, आगजनी को लेकर पुलिस स्टेशनों में 251 एफआइआर दर्ज की गई थीं।
यह है मामला
शोपियां में 2009 में नीलोफर और आसिया नाम (SUSPEND) की महिलाओं की रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी। इनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत बताते हुए दोनों डॉक्टरों ने बलात्कार और हत्या का दावा किया था। सीबीआइ ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में कहा था कि दोनों महिलाओं के साथ न तो बलात्कार हुआ और न उनकी हत्या की गई। उनकी मौत डूबने से हुई थी।