दिल्ली। देश में गेहूं (GEHU KHARIDI) की सरकारी खरीद कम होने के कारण निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। खाद्य विभाग में अपर सचिव सुबोध के. सिंह ने बुधवार को बताया कि भारत प्राथमिक रूप से गेहूं का निर्यातक नहीं है। वह गेहूं की मात्रा अधिक होने पर ही निर्यात करता है।
भारत ने घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई, 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। इस बार देश में गेहूं की सरकारी खरीद काफी कम हुई है। सरकार ने खरीद का लक्ष्य 3.4 करोड़ टन रखा था। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) 21 मई तक 2.61 करोड़ टन गेहूं ही खरीद पाया। अनुमान है कि इस साल कटाई (GEHU KHARIDI) के मौसम के अंत तक 2.7 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो पाएगी। ऐसे में खरीद के लक्ष्य पूरे नहीं हो सकेंगे। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादन राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद में भारी गिरावट आई है। गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी पर अपर सचिव ने कहा कि कटाई और खरीद सत्र के खत्म होने के बाद जिंसों की कीमतों में मामूली वृद्धि सामान्य बात है। कीमतें थोड़ी बढ़ी हैं। कटाई के समय कीमतें कम रहती हैं। सरकार ने फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में 11 करोड़ 21.8 लाख टन गेहूं के रेकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है।
सरप्लस सप्लाई पर ही निर्यात
अपर सचिव सिंह ने बताया कि देश ने सरप्लस सप्लाई रहने के कारण पिछले तीन साल में सालाना 20 से 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। पिछले साल गेहूं (GEHU KHARIDI) का निर्यात 50 लाख टन रहा। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर परस्पर व्यापार व्यवस्था के माध्यम से भारत की ओर से नेपाल और भूटान जैसे देशों को कुछ मात्रा में गेहूं की आपूर्ति की जा रही है। विदेश मंत्रालय की ओर से अनुरोध होने पर हम कुछ देशों को निर्यात पर विचार करेंगे।