आइजोल। हिंसा प्रभावित मणिपुर (MANIPUR HINSA) से 5,800 से अधिक लोग मिजोरम भाग गए हैं और वहां के विभिन्न जिलों में शरण ली है। इस बात की जानकारी रविवार को अधिकारियों द्वारा दी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि चिन-कुकी-मिजो समुदाय के कुल 5,822 लोग मिजोरम के छह जिलों में अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि आइजोल जिले में इस समय 2021 के मुकाबले विस्थापित लोगों की संख्या सबसे अधिक है और इसके बाद कोलासिब (1,847) और सैतुअल (1,790) हैं।
आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग
इस बीच मिजोरम के लोकसभा सदस्य सी लालरोसांगा (MANIPUR HINSA) ने आदिवासी विधायकों के उस मांग का समर्थन किया है, जिसमें आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग की है। कुकी के 10 विधायकों ने हिंसक झड़प को देखते हुए शुक्रवार को केन्द्र से आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि मणिपुर सरकार के तहत आदिवासी लोगों का अब कोई अस्तित्व नहीं रह सकता।
भैयाजी यह भी देखे: ओवैसी को हिमंत सरमा की चेतावनी- असम में 300 मदरसे भी बंद करके रहूंगा
मैतेई समुदाय के आरक्षण को लेकर हुई हिंसा
दरअसल, मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने (MANIPUR HINSA) की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में झड़पें शुरू हो गई थीं। हिंसा से पहले कुकी के ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव पैदा हो गया था, जिसके कारण छोटे आंदोलन हुए थे।
असम भागने को मजबूर हुए लोग
मणिपुर की हिंसा ने काफी उग्र रूप ले लिया था, हर तरफ आगजनी (MANIPUR HINSA) और तोड़फोड़ मची हुई थी। इस हिंसा में कई लोग मारे गए और कई लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर होना पड़ा था। अधिकतर लोग मणिपुर और असम की सीमावर्ती इलाकों की ओर भागे, जहां असम सरकार ने उनके लिए शिविर बनाए हुए थे।
केन्द्र ने किया समर्थन
इस पूरे हिंसा के दौरान केन्द्र ने भी सीएम (MANIPUR HINSA) के संपर्क में रहकर हालातों का जायजा लिया। केन्द्र के समर्थन के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी किया था। कई दिनों तक इलाकों में कर्फ्यू लगाने के बाद हालात पर काबू पाना संभव हो सका था।