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धर्मांतरितों को डी-लिस्ट करने की मांग

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रायपुर। प्रदेश में (RAIPUR NEWS) डी लिस्टिंग (धर्म बदल चुके आदिवासियों, या आरक्षित वर्ग को आरक्षण के लाभ से बाहर करने) को लेकर बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है। आंदोलन को पीछे से क्रस्स्, विश्व हिंदू परिषद और बजरंगदल जैसे संगठनों का पूरा समर्थन है। इसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने षडय़ंत्र बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा- दिल्ली में यह प्रदर्शन करना चाहिए। यह फैसला भारत सरकार लेगी। इसलिए उनके ही पास जाकर बोलना चाहिए, छत्तीसगढ़ में रैली करने का कोई मतलब नहीं।

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धर्मातरण कराने वालों को कांग्रेस का प्रश्रय: बृजमोहन

भाजपा की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (RAIPUR NEWS)  की टिप्पणी पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि उनकी कांग्रेस पार्टी ही आदिवासियों के धर्मांतरण कराने वालों को प्रश्रय देती है। इसीलिए वो डी लिस्टिंग को लेकर आंदोलित आदिवासियों के आंदोलन पर उंगली उठा रहे है। देश भर के आदिवासी अपने अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए चिंतित है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो धर्म परिवर्तन करके अपनी आस्था,अपनी संस्कृति,अपने संस्कारों और अपनी परंपराओं को परिवर्तित करने के बाद भी आदिवासियों की सुविधाएं ले रहे हैं। आदिवासियों के अधिकारों को छीन रहे हैं। भाजपा संस्कृति की रक्षा का काम कर रहीे है।

नारायणपुर की घटना भी इसी का परिणाम है। बस्तर में कई जगह हालत ये है कि आदिवासी समाज अपने श्मशान घाटों में धर्म परवर्तित कर ईसाई बने लोगों को दफनाने की जगह नहीं दे रहा है। यह एक गंभीर समस्या बनकर सामने आई है। पादरी भगवा कपड़ा पहन रहे हैं, धर्म बदलने वाले का नाम नहीं बदला जाता। पूर्व में रही सरकारों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए आदिवासी समाज को तोडऩे के लिए धर्मांतरण का कुचक्र चलाया है। बृजमोहन अग्रवाल ने आगे कहा- कांग्रेस नेताओं को सपने में भी आरएसएस और भाजपा दिखने लगी है। वो अपनी गलतियों को देखें किस प्रकार से आदिवासियों के अधिकारों को छीन रहे हैं।

आज जुटेंगे आदिवासी

प्रदेश के जनजाति वर्ग के आरक्षण को खत्म करने उन्हें विशेष व्यव्स्थाएं (RAIPUR NEWS)  जो सरकार की ओर से मिलती हैं उसे खत्म करने का अभियान चलेगा। ये अभियान ऐसे जनजाति वर्ग के लोगों के खिलाफ चलेगा जो ईसाई या इस्लाम धर्म कबूल चुके हैं। मुहिम रायपुर में 16 अप्रैल को एक बड़ी रैली के साथ शुरू होगी। इसकी अगुवाई जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से की जाएगी। अब इस रैली में एक ही मांग सरकार से की जाएगी वो है डीलिस्टिंग, इसका सीधा मतलब ऐसे लोगों को आरक्षण की लिस्ट से हटाना है जो धर्मांतरण कर चुके हैं।

क्या कहते हैं अभियान चलाने वाले

संगठन के गणेश राम भगत (राष्ट्रीय संयोजक, जनजाति सुरक्षा मंच), भोजराज नाग (संयोजक), रोशन प्रताप सिंह (संयोजक) और संगीता पोया (सह-संयोजिका) ने आंदोलन के बारे में बताया। इन पदाधिकारियों ने कहा- दरअसल जनजाति समाज को आरक्षण इसीलिए दिया गया है ताकि उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाया जा सके। लेकिन जनजाति आरक्षण का मूल उद्देश्य तब अर्थहीन हो जाता है, जब जनजाति अपने मूल संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को अस्वीकार कर दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाता है तो वह जनजातियों को मिलने वाले लाभों को उठाने का पात्र कैसे हो सकता है ?