रायपुर। प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत एडमिशन देने के मामले में निजी स्कूलों की मनमानी का खुलासा सामने आया है। दरअसल, तय 25 फीसदी सीट से अधिक सीटों पर आरटीई के तहत एडमिशन देकर सरकार से राशि वसूली जा रही थी। दस वर्षों में निजी स्कूलों को 98 करोड़ से ज्यादा दे भी दिया गया। अब विभागीय अधिकारियों ने इस शैक्षणिक सत्र में प्रवेश प्रक्रिया शुरु करने से पहले इस गड़बड़ी को पकड़ा है।
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अधिकारियों ने बताया, प्रदेश के 6 हजार 495 निजी स्कूलों (RTE) से अब आरटीई की 26 हजार 885 सीटों को खत्म कर दिया गया है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अब आरटीई के तहत 80 हजार सीटों के बजाए 53 हजार 115 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। निजी स्कूलों का संचालन करने वाले कई संचालक आरटीई के तहत दस वर्षों में पात्रता से ज्यादा प्रवेश छात्रों को देते थे। इस काम को करने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर करते थे।
आरटीई सीटों (RTE) में दस्तावेजी गड़बड़ी करने वाले स्कूलों की शिकायत विभागीय अधिकारियों को मिली थी। विभागीय अधिकारियों ने प्रदेश के स्कूलों से उनकी क्लास की क्षमता प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या मांगी। स्कूलों से जानकारी आने पर नोडलों को भेजकर जांच कराई गई। नोडलों की जांच के दौरान कई स्कूलों में नार्मल और आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले छात्रों के औसत में बड़ा अंतर दिखा। इस रिपोर्ट के आधार पर आरटीई की सीटों को विभागीय अधिकारियों ने कम कर दिया।