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प्रदेश में वेस्ट पेपर पर लगे प्रतिबंध, हाई कोर्ट में जनहित याचिका

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में खाद्य सामग्री परोसने में वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करने के खिलाफ हाई कोर्ट (BILASPUR NEWS) में जनहित याचिका दायर की गई है। दरअसल, अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर में रखकर स्ट्रीट फूड या होटलों में खाने की चीजें लपेट कर या पैक कर देने का प्रचलन है। ये सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है। इस पर प्रतिबंध लगाने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने अधिसूचना जारी की है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इसका पालन नहीं हो रहा है। याचिका में इस तरह से वेस्ट पेपर पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

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बिलासपुर के सरकंडा स्थित कपिल नगर निवासी एडवोकेट एवं आरटीआइ एक्टिविस्ट रितेश शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि 24 दिसंबर 2018 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर राजपत्र में इसे प्रकाशित किया है, जिसे खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) विनियम 2018 का नाम दिया गया है। इस विनियम की धारा 3 ( 11 ) के अनुसार अखबार या ऐसी किसी भी सामग्री का उपयोग भोजन के भंडारण और लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा। यह बदलाव एक जुलाई 2019 से पुरे देश में लागू है।

लेकिन, इसके बाद भी छत्तीसगढ़ (BILASPUR NEWS) में इस पर अमल नहीं हो रहा है। यहां स्ट्रीट फूड की दुकानों, होटलों जैसे भेल, पकोड़े, समोसे, एग रोल, जलेबी, पोहे, इडली एवं अन्य चीजें इसके अलावा कुछ होटलो में भी रोटियां, सलाद, पापड; जैसे खाने के चीजों को भी लपेटने के लिए यहां तक की पुड़ी या भटूरे से अतिरिक्त तेल निकालने के लिए टिश्यू पेपर के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह कई लोग आफिस के लंच में रोटी को अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर में लपेटकर लाते हैं, जिससे रोटियां गीली न हो। आमतौर पर हम इस बात पर गौर नहीं करते हैं और अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर में लपेटकर दिए गए खाने को आराम से खा लेते हैं। लेकिन, सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।

दो लाख रुपये तक जुर्माने का है प्रविधान

याचिकाकर्ता एडवोकेट ने यह भी बताया है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में यह भी प्रविधान है कि किसी अगर दुकान में अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर पर खाने वाली चीजों को परोसता हुआ या पैक करता हुआ पाया जाता है तो उस दुकानदार से दो लाख रुपए तक की जुर्माना वसूली की जा सकती है। वर्ष 2016 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने भी खाने की चीजों को अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर में लपेटकर खाने की आदत को खतरनाक बताकर आगाह किया था। साथ ही एडवाजरी जारी की थी कि अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर का इस्तेमाल खाने की चीजों को रखने या पैकिंग करने के लिए न किया जाए। भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण के मुताबिक प्रकाशन स्याही में हानिकारक रंग, पिगमेंट और परिरक्षक हो सकते हैं जो पेट संबंधी संक्रमण दे सकते हैं।

बच्चों और बुजुर्ग के लिए है घातक

एडवाजरी (BILASPUR NEWS) में बताया गया है कि बुजुर्गों, किशोरों, बच्चों और किसी रोग से पीड़ित लोगों के लिए अखबारों में खाना देना उनके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। अखबार में रखे खाने को खाने से आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी रहता है। इतना ही नहीं इससे पाचन तंत्र को भी नुकसान पहुंचता है। एक्सपर्ट तो यहां तक कहते हैं ऐसा करने से हार्मोनल संतुलन बिगड़ने का भी खतरा रहता है।