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रायपुर। राजधानी रायपुर में ED के छापों के बीच एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा है। रायपुर के महापौर एज़ाज़ ढेबर के ठिकानों पर पड़े छापों के बाद कांग्रेस नेता और उनके समर्थकों का जमावड़ा हो गया है। महापौर के बंगले का दरवाजा खटखटा कर खोलवाने का प्रयास उनके समर्थक और कांग्रेस नेता कर रहे है। इधर महापौर के निज निवास के बाहर रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से कहा कि “एजाज ढेबर की मां बीपी की मरीज है। रमजान के महीने में सभी का उपवास चल रहा है। ऐसे में उन पर किसी भी प्रकार का कोई दबाव न बनाया जाए, जरूरत महसूस होने पर एजाज ढेबर की मां को दवाई दी जाए।”
दुबे ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, जब तक ईडी वाले रहेंगे तब तक हम लोग यहां बैठे रहेंगे। उनकी मां 75 साल की है, वह बेचारी पेशेंट है, उपवास है, दवाई चलता है। आखिर दवाई को तो समय पर दे देंगे ना ? बाकी चीजों के लिए हमारा हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन सीनियर सिटीजन है। उनकी मां की उम्र को देखते हुए हम इनके अधिकारियों से आग्रह कर रहे कि समय पर दवाई दे दें, उनका ख्याल रखें। कोई दबाव उनके ऊपर ना बनाएं। एक पुत्र होने के नाते उनका भी कर्तव्य है, सिर्फ छापा मारना ही उनका कर्तव्य नहीं है, इतने संवेदनशील तो वे होंगे, हमें ऐसा लगता है। सभापति प्रमोद दुबे ने कहा, यह कार्रवाई लगातार चल रही है, गिरीश देवांगन किसान का बेटा है। उसके घर में 140 क्विंटल धान मिला, इसके पहले एजाज ढेबर के यहां भी छापा पड़ा था, उसमें क्या मिला किसी ने डिस्क्लोज नहीं किया।
भाजपा में जाने के बाद सब पाक-साफ
सभापति प्रमोद दुबे ने कहा कि संविधान में हर आदमी को अपने कर्तव्य के प्रति जानने का अधिकार है। हम ईडी के अधिकार क्या है, इसको हम चैलेंज नहीं कर रहे हैं, यह पूरे छत्तीसगढ़ में स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है। शुभेंदु अधिकारी जो पहले दूसरे पार्टी में था उसके यहां ईडी का जांच चल रहा था, जैसे ही वह भारतीय जनता पार्टी में आया, कमल छाप साबुन से जैसे नहलाएं, ईडी जांच बंद हो गया। असम के मुख्यमंत्री पहले कांग्रेस में थे, उनके यहां ईडी का जांच हुआ, उसके बाद अब बीजेपी में आ गए। कर्नाटक के सबसे बड़े हीरो येदुरप्पा के यहां ईडी का छापा पड़ा, उसके बाद किसी को पता नहीं चला।