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सरकार ने बंद किए जजों के GPF अकाउंट

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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। बता दें कि इस याचिका में दावा किया गया था कि उनके सामान्य भविष्य निधि (GPF) खातों को बंद कर दिया गया है।

यह मामला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कृष्ण मुरारी और पी एस नरसिम्हा की पीठ के सामने आया है। एक वकील ने बेंच के सामने इस मामले का जिक्र करते हुए कहा कि 7 जजों के जीपीएफ खाते बंद कर दिए गए हैं और मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है। सीजेआई ने कहा, “क्या? जजों का जीपीएफ खाता बंद हो गया? याचिकाकर्ता कौन है? इसे शुक्रवार को लिस्ट किया जाता है। जस्टिस शैलेंद्र सिंह, अरुण कुमार झा, जितेंद्र कुमार, आलोक कुमार पांडेय, सुनील दत्ता मिश्रा, चंद्र प्रकाश सिंह और चंद्र शेखर झा द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका का जब अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने जल्द सुनवाई के लिए उल्लेख किया, तो सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया।

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सुप्रीम कोर्ट में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के जीपीएफ (GPF) खाते को अचानक बंद करने पर और शुक्रवार को उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुए। इन न्यायाधीशों को अप्रैल 2010 में बिहार की सुपीरियर न्यायिक सेवाओं के तहत सीधी भर्ती के रूप में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें पिछले साल एचसी के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। जब वे न्यायिक अधिकारी थे, तब वे राष्ट्रीय पेंशन योजना का हिस्सा थे।

2016 में, बिहार सरकार ने एक नीति बनाई थी कि नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले लोग अपनी एनपीएस योगदान राशि वापस पाने के हकदार होंगे और इसे या तो उनके बैंक खाते में रखा जा सकता है या जीपीएफ (GPF) खाते में जमा किया जा सकता है। न्यायाधीश नियुक्त होने पर उन्हें एक-एक जीपीएफ खाता दिया गया, जहां से एनपीएस अंशदान राशि निकालकर जमा की। वहीं, पिछले साल नवंबर में महालेखाकार ने कानून और न्याय मंत्रालय से इन न्यायाधीशों द्वारा एनपीएस योगदान को जीपीएफ खातों में स्थानांतरित करने की वैधता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था।