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महाशिवरात्रि पर शिवालयों में उमड़ी भक्त की भीड़…जय भोले के नारों से गूंजें मंदिर

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रायपुर। रायपुर समेत देशभर में महाशिवरात्रि पर्व पर शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। राजधानी रायपुर में प्राचीन बाबा हटेकश्‍वर नाथ में शिवभक्तों की लंबी कतारें लगी हुई है। महादेव घाट के अलावा बूढ़ापारा स्थित बूढ़ेश्वर मंदिर, सरोना के शिवमंदिर समेत तमाम शिवालयों में भारी भीड़ है। हर शिव मंदिर परिसर में भक्‍तों की लंबी लाइन लगी हुई है।

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आज महादेवघाट स्थित हटकेश्वर महादेव, बूढ़ापारा के बूढ़ेश्वर मंदिर, शंकरनगर स्थित सुरेश्वर महादेवपीठ, कटोरातालाब के योगेश्वर महादेव, मोतीबाग के बैजनाथधाम, मठपारा और नहरपारा के नीलकंठेश्वर, रावांभाठा के बंजारी मंदिर, समता कालोनी के शिव हनुमान मंदिर, बूढ़ापारा के गणेश, शिव मंदिर, राजीवनगर के शिव मंदिर, प्रोफेसर कालोनी के अघोर पीठ श्रीराम सुमेरू मठ औघड़नाथ दरबार समेत 25 से अधिक शिव मंदिरों में हवन, पूजन, रुद्राभिषेक, महाभंडारा प्रसादी का आयोजन किया जा रहा है।

क्यों मनाई जाती है “महाशिवरात्रि”

महाशिवरात्रि के पीछे की वज़ह पर चर्चा करते हुए पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “पौराणिक, धार्मिक और दंत कथाओं की मान्यताओं के अनुसार, सम्पूर्ण भारत भूमि के अलग अलग क्षेत्रो में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य तथा शिव पार्वती जी का विवाह हुआ था। शिव-पार्वती जी का विवाह होने के कारण ही महाशिवरात्रि को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है।

उन्होंने बताया कि एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव ,करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिये हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है, यह मास शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,

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इस दिन ही आधी रात को भगवान शिव निराकार ब्रह्म से साकार स्वरूप यानी रूद्र रूप में अवतरित हुए थे, इसलिए इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर दर्शन कर मन्दिर / घर मे शिव अभिषेक पूजन करना चाहिये।

12 तरह के पुष्प शिव को प्रिय

भगवान भोलेनाथ को मंदार, मालती, धतूरा, सिंदुवार, अशोक, मल्लिका, कुब्जक, पाटल, आंकड़े, कदंब, लाल और नीला रंग का कमल अतिप्रिय है। इनके अर्पण से भगवान शिव प्रसन्न होते है।