कांकेर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा आयोजित 10वीं एवं 12वीं बोर्ड की परीक्षा में जिले के सभी विद्यार्थी उत्तीर्ण हों तथा अधिक से अधिक विद्यार्थी राज्य की मेरिट सूची में भी अपना स्थान बनायें। इस दिशा में कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। उनके द्वारा विद्यार्थियों एवं शिक्षकों तथा प्राचार्यों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले के सभी विकास खंडों में अभिप्रेरणा कार्यशाला का आयोजन किया जाकर विद्यार्थियों को मोटिवेट किया गया।
कलेक्टर ने जिले के सभी प्राचार्यों, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों, विकासखण्ड सहायक शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा नोडल अधिकारियों की बैठक लेकर हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूल की बोर्ड परीक्षा में शत प्रतिशत रिजल्ट लाने तथा राज्य की मेरिट सूची में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को स्थान दिलाने के लिए मेहनत करने की समझाईश दी तथा कहा कि शिक्षा से ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है, विद्यार्थी यदि सफल होगा तो उसका भविष्य सुनहरा होगा।
कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने प्राचार्यों को निर्देशित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को अधिक से अधिक अभ्यास करायें, उन्हें टाईम मैनेजमेंट, माइंड मैनेजमेंट एवं हेल्थ मैनेजमेंट के बारे में भी बतायें। यदि किसी विद्यार्थी का स्वास्थ्य खराब हो तो उसका उपचार करायें। विद्यार्थियों से सोने से पहले कम से कम एक प्रश्न हल करके सोने की आदत डालने के लिए प्रोत्साहित करें।
परीक्षा के समय विद्यार्थियों में घबराहट न हो, इसके लिए भी उन्हें समझाईश दें। शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि अर्धवार्षिक परीक्षा में जो स्कूल सी,डी एवं ई ग्रेड में चिन्हांकित किये गये है, उन स्कूलों का बीईओ नियमित रूप से निरीक्षण करें और जो स्कूल बी ग्रेड में चिन्हांकित है, उन्हें ए ग्रेड में लाया जावे।
कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त क्लास लगाई जाये तथा प्रत्येक रविवार को सभी स्कूलों में समाधान क्लास लगाया जावे, जिसमें विद्यार्थी अपनी विषय संबंधी प्रश्न का समाधान करा सकें। स्कूलों में पालक एवं शिक्षक सम्मेलन आयोजित किया जावे। परीक्षा की तैयारियों के संबंध में छात्रावास, आश्रम अधीक्षकों की भी समन्वय बैठक लिया जावे। कलेक्टर डॉ. शुक्ला ने कहा कि अर्धवार्षिक परीक्षा में जिन विषयों में विद्यार्थी ज्यादा अनुत्तीर्ण हुए हैं, उन विषयों के शिक्षकों की बैठक ली जाये तथा कारणों का पता लगाकर कार्ययोजना बनाई जाये।
अनुपस्थित बच्चों की स्कूलों में नियमित उपस्थिति के लिए चलाये गये अनुरोध कार्यक्रम की जानकारी भी उनके द्वारा ली गई तथा ऐसे बच्चों के घरों में गैर शिक्षकीय स्टॉफ को सप्ताह में तीन से चार दिन भ्रमण कर इन बच्चों को स्कूल आने के लिए लगातार प्रोत्साहित करने तथा पढ़ाई के लिए रूचि पैदा करने के लिए निर्देशित किया गया। प्राचार्यों को मुख्यालय छोड़ने से पहले बीईओ से अनुमति लेने के निर्देश भी दिये गये।