दिल्ली। केंद्र सरकार (MODI CABINET) के मंत्रालयों में इन दिनों बेचैनी है। पार्टी मुख्यालय से पीएमओ तक उच्च स्तरीय बैठकों की गहमागहमी मोदी कैबिनेट में बड़े फेरबदल का संकेत दे रही है। सरकार और पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पुनर्गठन होगा।
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यही टीम इस साल 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का मोर्चा संभालेगी। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, धमेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर को नई और अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। इसी तरह गुजरात चुनाव के रणनीतिकार माने जाने वाले सीआर पाटिल को दिल्ली में अहम भूमिका में लाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अभी तक ये तय नहीं है कि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण पद मिलेगा या कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे। वहीं, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के लिए भी नई जगह तलाशी जा रही है।
20 जनवरी से 436 सीटों पर 3 दिन रहेंगे केंद्रीय मंत्री
आम चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा 20 जनवरी से उन 436 लोकसभा सीटों (MODI CABINET) पर केंद्रीय मंत्रियों की तैनाती करेगी, जहां वह पिछला चुनाव लड़ी थी। मंत्री वहां रोटेशन आधार पर तीन दिन रुकेंगे और केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा करेंगे। सूत्रों का कहना है कि हर मंत्री के जिम्मे 7-8 सीटें होंगी। उन्हें केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और उसके असर की जानकारी जुटाकर रिपोर्ट बनानी होगी।
2023 के 10 विधानसभा चुनाव, 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी
इस साल कर्नाटक, तेलंगाना, मप्र-छग राजस्थान, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा में चुनाव हैं। जम्मू-कश्मीर में भी उम्मीद है। पार्टी के सामने इनमें से 6 राज्यों में सरकार बचाने (MODI CABINET) की चुनौती है। ऐसे में मंत्रिमंडल में वहां के नेताओं को प्रतिनिधित्व देने पर जोर रहेगा। सरकार की ओर से साफ संकेत हैं कि नॉन परफाॅर्मिंग मंत्रियों को ड्रीम टीम में स्थान नहीं मिलेगा। एक पूर्व मंत्री ने इशारा किया कि गुजरात चुनाव से पहले वहां पूरी टीम को झकझोरा गया था, जिसके अच्छे नतीजे दिखाई दिए। इसलिए समझा जा रहा है कि इस बार भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।
नई टीम के लिए ये समीकरण बन सकते हैं
- संगठन में अनुभवी, तेजतर्रार नेताओं की कमी। इसलिए कम से कम 3 कैबिनेट मंत्री संगठन में लाए जा सकते हैं।
- एक पूर्व ब्यूरोक्रेट कैबिनेट मंत्री को हटाए जाने की चर्चा है।
- महिला प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।
- कर्नाटक, मप्र-छग, राजस्थान से नुमाइंदगी बढ़ना भी संभव।
- 5 मंत्रियों का अतिरिक्त प्रभार कम किया जा सकता है।
- ओबीसी, अनुसूचित जाति और आदिवासी को तरजीह दी जाएगी।
- अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रतिनिधि को दिया जाएगा।
- गुजरात की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले पुरस्कृत होंगे।
- हिमाचल-दिल्ली एमसीडी चुनाव में हार का असर दिखेगा।
- पुनर्गठन में शिवसेना के शिंदे गुट को एक स्थान दिया जा सकता है।
- जेडीयू के हटने से खाली हुई जगह भी भाजपा को मिलेगी।