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भारतमाला परियोजना: जमीन के मुआवजे की गड़बड़ी, रायपुर-दुर्ग सिक्सलेन सड़क पर लगा ब्रेक

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दुर्ग। दुर्ग-रायपुर के बीच भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित सिक्स लेन (DURG NEWS) सड़क के लिए पहले फेज में अधिग्रहित जमीन की मुआवजे और परिसंपत्तियों की कीमत को लेकर विवाद अभी तक निबटा नहीं है और इधर पूरक अधिग्रहण में प्रस्तावित 469 किसानों की 41.82 हेक्टेयर जमीन और उन पर स्थिति परिसंपत्तियों के मूल्यांकन की तैयारी की जा रही है। पहले फेज में अफसरों पर जमीन और परिसंपत्तियों की कीमत निर्धारण में गड़बड़ी से करीब 15 फीसदी किसानों को नुकसान होने का आरोप है। अब उन्हीं अफसरों द्वारा पुराने पैटर्न पर गणना से दोबारा विवाद और किसानों को मुआवजे में नुकसान आशंका जताई जा रही है। इसे लेकर किसानों की फिर लामबंदी शुरू हो गई है।

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केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग के अंजोरा से रायपुर (DURG NEWS) के आरंग के बीच 93 किमी सिक्स लेन एक्सप्रेस कॉरिडोर सड़क का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए पहले चरण मे जिले के 26 गांवों के 1349 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। करीब 44.50 किमी सड़क के लिए पहले चरण में चिन्हित जमीन का अधिग्रहण के साथ मुआवजा का वितरण शुरू कर दिया गया है, लेकिन इसमें जमीन की दर, परिसंपत्तियों की गणना व कीमत और मूल्यांकन में भूमि की उपयोगिता में गड़बड़ी जैसे कई विवाद सामने आए हैं। किसानों का आरोप है कि पहले चरण में करीब 15 फीसदी किसानों को इन गड़बडिय़ों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।

इस तरह की गड़बड़ी को लेकर विवाद

सड़क की जमीन – भू-अधिग्रहण अधिनियम के मुताबिक किसी भी मार्ग से 20 मीटर अंदर तक (DURG NEWS) की जमीन को सड़क की जमीन माना जाता है। इसके लिए गाइडलाइन में अतिरिक्त दर का प्रावधान होता है, लेकिन मूल्यांकन के दौरान अधिकारियों पर इसकी अनदेखी व अधिकतर जमीन को सिंचित बता मूल्यांकन करदेने का आरोप है। इससे मुआवजा कम हो गया।

परिसंपत्तियों की कीमत

परिसंपत्तियों के मूल्यांकन को भी लेकर शिकायत है। अधिकारियों ने कई किसानों के खेतों के परिसंपत्तियों पेड़, नलकूप, फेंसिंग, मकान आदि का मूल्यांकन छोड़ दिया अथवा इसके एवज में बेहद कम राशि दर्ज कर दी। किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है।

सिंचित को बताया असिंचित

मुआवजे निर्धारण में कई किसानों की सिंचित को असिंचित, सड़क को असिंचित बता देने जैसी त्रुटियों की शिकायत है। ग्राम गोंड पेंड्री पटवारी हलका 23 में इस पर आपत्ति लगाई गई है। पटवारी सर्वे प्रपत्र 10 ए में यह जमीन मुख्य मार्ग से महज 5 मीटर दूरी दर्ज है। जबकि 20 मीटर तक दूरी को सड़क की जमीन मानकर मुआवजा तय किया जाना चाहिए।

200 से ज्यादा मामले हाईकोर्ट में

पहले फेज में विवादों के कारण करीब 200 मामले हाईकोर्ट में लंबित है। किसानों ने अधिग्रहण और मुआवजे की गणना की मांग को लेकर अलग-अलग याचिका लगाई है। इनमें पाटन और दुर्ग के अलावा आरंग के किसान हैं शामिल हैं। इन मामलों की सुनवाई भी शुरू हो चुकी है।