दिल्ली। फ्रांसीसी दूतावास (french embassy) से 64 लोगों की वीजा आवेदन फाइलें गायब हो गई हैं। आरोप है कि इन लोगों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर वीजा जारी किए गए थे। सीबीआइ वीजा धोखाधड़ी मामले में फ्रांसीसी दूतावास के दो पूर्व कर्मचारियों समेत कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। केंद्रीय एजेंसी का आरोप है कि दूतावास के वीजा विभाग के पूर्व कर्मचारियों शुभम शौकीन और आरती मंडल ने जनवरी से मई के बीच साजिश रचकर धोखाधड़ी से उन लोगों को वीजा जारी किए, जो उसके पात्र नहीं थे।
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अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि आरोपियों ने वीजा संबंधी 484 फाइलों (french embassy) पर काम किया, जिसमें से 64 फाइलें उन लोगों से जुड़ी थीं, जिन्होंने पहले कभी विदेश यात्रा नहीं की थी। इनमें पंजाब के युवा किसान व बेरोजगार शामिल हैं। वीजा संबंधी मंजूरी देने के लिए लोगों से प्रति वीजा 50 हजार रुपए लिए गए। इस तरह 32 लाख रुपए कमाए। सीबीआइ ने इस सिलसिले में दिल्ली, पटियाला, गुरदासपुर व जम्मू में छापेमारी की थी। इस दौरान दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और संदिग्ध पासपोर्ट बरामद किए गए। एजेंसी ने प्राथमिकी में जम्मू-कश्मीर के नवजोत सिंह, पंजाब के चेतन शर्मा व सतविंदर सिंह पर फर्जी दस्तावेज देकर वीजा हासिल करने का आरोप लगाया है।
अफसरों को बताए बगैर किए जारी
सीबीआइ के प्रवक्ता ने बताया कि आपराधिक साजिश (french embassy) के तहत पंजाब और जम्मू के आवेदकों ने बेंगलूरु की एक कंपनी की ओर से तैयार फर्जी पत्र बेंगलूरु में फ्रांस के महावाणिज्य दूतावास के सामने पेश किए, ताकि उन्हें फ्रांस के पोर्ट-ली-हार्वी में नौकरी के लिए प्रवेश वीजा जारी किए जाएं। बेंगलूरु के कांसुलेट जनरल ने तीनों अर्जी दिल्ली में फ्रांस के दूतावास को भेज दीं, जहां शुभम शौकीन और आरती मंडल ने बिना वरिष्ठ अधिकारियों को बताए वीजा जारी कर दिया।