रायपुर। गरीबों की सेहत के लिए बनाए जाने वाले FRK राइस पर भी छत्तीसगढ़ में तैनात FCI के अफ़सर घूस का निवाला निकालने से नहीं चूक रहे है। बात केवल घुस की नहीं है, बल्कि मनमानी करते हुए FCI के आला अफसर कमीशनखोरी में भी जुटे हुए है। FRK राइस पर घूस और कमीशन का खेल किस तरह से चल रहा है, इसकी पढ़िए इस रिपोर्ट में…!
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केंद्र सरकार ने PDS के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले अनाज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए फोर्टिफाइड राइस की मात्रा बढ़ाने का आदेश दिया था। पहले इसे ट्राइबल ब्लॉक के चुनिंदा दुकानों में वितरित कराया गया ताकि लोगों का फीडबैक लिया जा सके। कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर इस FRK राइस का उत्पादन एक अलग तरह के प्लांट में होता है।
सरकार के आदेश के मुताबिक FCI और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा होने वाले चावल में एक प्रतिशत FRK होना चाहिए। मतलब एक क्विंटल चावल में एक किलो एफआरके राइस और 99 किलो सामान्य चावल का पैमाना तय किया गया था। जिसमें अब छत्तीसगढ़ में तैनात FCI अफ़सर और कर्मचारी मिलकर कमीशनखोरी और घूसखोरी का खेल चला रहे है।
क्या है फोर्टिफाइड राइस
फोर्टिफाइड राइस एक कृतिम पोषणयुक्त चावल है। इसमें आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड की मात्रा अधिक है। इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड राइस भी विशेष तौर पर तैयार किए जा सकते है। फोर्टिफाइड राइस को आम चावल में मिलाकर खाया जाता है। ये देखने में बिल्कुल आम चावल जैसे ही लगते है, इनका स्वाद भी बेहतर होता है। भारत के फूड सेफ्टी रेग्युलेटर FSSAI के मुताबिक फोर्टिफाइड राइस खाने से भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
कमीशन के लिए ज़ारी किए तुगलकी फरमान
छत्तीसगढ़ के राइस मिलरों ने बताया कि फोर्टिफाइड राइस के लिए FCI अफसरों ने कमीशनखोरी का रास्ता तुगलकी फरमान ज़ारी कर निकाला है। मिलर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सैकड़ों ऐसे मिल है जहां फोर्टिफाइड राइस का उत्पादन किया जा रहा है। पहले मिलर अपनी सहूलियत और भाव के मुताबिक राज्य के किसी भी जिले से फोर्टिफाइड राइस उठा सकता था।
लेकिन FCI के आला अफसरों ने इसे खत्म करते हुए केवल अपने ही जिलों से फोर्टिफाइड राइस लेने का तुगलकी फरमान ज़ारी कर दिया। इस फरमान के बाद से ही फोर्टिफाइड राइस की कीमतों में भी मनमानी बढ़त दर्ज़ की गई। इस बढ़ी हुई कीमत से ही FCI अफसर तक घुस की रकम पहुंचाई जा रही थी, हालाँकि मिलरों के दबाव के बाद इस आदेश को वापस लिया गया।
घूस के लिए 2021-2022 का रोका दिया भुगतान
सूबे के राइस मिलरों ने ये भी बताया कि छत्तीसगढ़ के सैकड़ों राइस मिलर्स के करोड़ों रुपए का भुगतान भी FCI अफसरों ने रोक रखा है। दरअसल केंद्र सरकार से बनाए गए सिस्टम के मुताबिक फोर्टिफाइड राइस के भुगतान का जिम्मा FCI के हाथों में है। जिसके चलते भुगतान के लिए बाबू से लेकर अफसर से मुहँ खोलकर घूस मांगते है। अपना भुगतान मांगे जाने पर मिलरों से FRK राइस पर प्रति किलों 6 से 7 रुपए की घुस मांगी जा रही है।
2021-22 में हुई थी 97 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी
छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2021-22 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 97 लाख 97 हजार 122 मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी। राज्य में साल 2020-21 में 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। साल 2021-22 में 21,77,283 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचा था, जो बीते वर्ष धान बेचने वाले 20,53,600 किसानों की संख्या से 1,23,683 अधिक थी।