दिल्ली। चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग में घुसपैठ जैसी कोशिशें जारी रख सकता है। इसे देखते हुए भारतीय सेना हाईअलर्ट है और एलएसी पर तैनात जवानों को साफ निर्देश है कि चीन के ऐसे किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। पूर्वी सीमा के एयरबेस भी अलर्ट हैं। अगले सप्ताह वायुसेना पूर्वी मोर्चे पर दो अभ्यास भी करेगी। इस बीच, अमरीका ने साफ कहा कि भारत के साथ गुस्ताखी बर्दाश्त के काबिल नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने चिंता व्यक्त करते हुए दोनों देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया।
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प्रतिरक्षा सूत्रों का कहना है कि डोकलाम और गलवान के बाद से चीन पर पैनी नजर (LAC) रखी जा रही है। इसी वजह से तवांग के यांगत्से क्षेत्र में 17 हजार फीट पीक तक पहुंचने की उसकी कोशिश नाकाम कर दी गई। इस पीक से एलएसी के दोनों तरफ नजर रखना आसाना हो जाता है। चीन की इस चाल को भारतीय फौज ने पहले से ही भांप लिया था और जैसे ही चीन की फौज आगे बढ़ी, उसे मुंह की खानी पड़ी।
सॉफ्ट पॉवर नीति बनाने की सिफारिश
विदेशी मामलों संबंधी संसदीय समिति ने चीन से मुकाबले के लिए देश में मजबूत और स्पष्ट सॉफ्ट पावर नीति बनाने की जरूरत बताई है। समिति ने पिछली 16 वीं लोकसभा की रिपोर्ट में इस बाबत सिफारिश किए जाने के बावजूद अब तक विदेश मंत्रालय की तरफ से सॉफ्ट पावर नीति का दस्तावेज तैयार न किए जाने पर सवाल भी उठाए हैं।
सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि सॉफ्ट पावर नीति से भारत को निश्चित तौर पर लाभ होगा। सॉफ्ट पावर से भारत को कई अन्य देशों की तुलना में एक निश्चित लाभ है।
विश्व स्तर पर सबसे कम बजट
समिति ने पाया है कि भारत की सॉफ्ट पावर कूटनीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में बजट (LAC) की कमी सबसे प्रमुख कारक है।विदेश मंत्रालय के पास विश्व स्तर पर सबसे कम सॉफ्ट पावर बजट है, जो आईसीसीआर की गतिविधियों के अनुरूप नहीं है। समिति ने सरकार को भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत और व्यापक तरीके से संचालित करने के लिए आईसीसीआर को 500 करोड़ रुपए के बढ़े हुए बजटीय आवंटन की सिफारिश की है।