बेंगलूरु। गुजरात में हार और हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद अब कांग्रेस की निगाहें अगले साल अप्रेल-मई में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव पर टिक गई है।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद गुजरात की हार से सतर्क मल्लिकार्जुन खरगे (KHARGE) अपने गृह राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। पार्टी सूत्रों कहना है कि राज्य विधानसभा चुनाव को लेकर खरगे सक्रिय भूमिका में रहेंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव खरगे के पदभार संभालने के कुछ समय बाद हुए मगर कर्नाटक का चुनाव उनके लिए लिटमिस टेस्ट की तरह होगा। सोमवार को नई दिल्ली में खरगे के साथ प्रदेश नेताओं की होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी।
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रणनीति पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी
बैठक में जहां रणनीति पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी, वहीं नेतृत्व की लड़ाई का मुद्दा भी उठने की संभावना है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच संतुलन बनाना खरगे के लिए चुनौती होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि खरगे टिकट (KHARGE) बंटवारे में भी प्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो सकते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे सिद्धू और शिवकुमार के बीच नूरा-कुश्ती की स्थिति है और दोनों कई क्षेत्रों में अपने समर्थकों को भावी उम्मीदवार के तौर पर भी पेश कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि बैठक में दोनों नेताओं के बीच सामंजस्य को बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि खरगे गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वाक्युद्ध में उलझ गए गया और अब वह कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से जवाब देना चाहते हैं।
राज्यों के नेताओं से होगा सीधा संवाद
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी तक पार्टी अलाकमान किसी राज्य में जमीनी स्थिति की जानकारी के लिए प्रदेश प्रभारी महासचिव पर निर्भर रहता था मगर अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। राज्यों (KHARGE) के नेताओं से सीधे संवाद किया जाएगा ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थानीय होने के कारण खरगे राज्य की राजनीतिक स्थिति को बेहतर जानते हैं और उनके पास सूचनाओं के लिए कई स्त्रोत भी हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में पार्टी की जीत नहीं हुई तो खरगे भी आत्मसंतुष्ट नहीं होंगे और इससे उनके कद भी असर पड़ेगा। इसलिए पार्टी किसी भी हाल में राज्य में सत्ता में वापसी चाहती है।