रायपुर। धर्मग्रंथों के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि पर आंवला नवमी (AWALA NAVMI) पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि आंवला फल में भगवान विष्णु और भोलेनाथ का वास होता है। दोनों देवों की एकसाथ पूजा करने के लिए आंवला फल को पूजने की परंपरा है। बुधवार को आंवला नवमी पर्व श्रद्धा-उल्लास से मनाया जाएगा। महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करेंगी। मोतीबाग में पूजा करके महिलाएं पिकनिक मनाएंगी और बचपन के खेलों का आनंद लेंगी।
आंवले में तुलसी-बेल के गुण
संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ के प्रवक्ता पंडित चंद्रभूषण शुक्ला बताते हैं कि आंवला नवमी का पर्व अक्षय फल प्रदान करने वाला है। आंवला नवमी की कथा के अनुसार माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक का भ्रमण करने जब निकलीं, तब माता के मन में भगवान विष्णु और शंकर दोनों की पूजा करने की इच्छा हुई।
दोनों देवों का वास आंवला फल में होने से मां लक्ष्मी ने आंवला फल (AWALA NAVMI) की पूजा की। दोनों देव प्रकट हुए। मां लक्ष्मी ने उन्हें आंवला पेड़ के नीचे बिठाकर भोजन कराया। उस दिन कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि थी। तबसे कार्तिक महीने में आंवला फल की पूजा की जाने लगी। आंवला फल का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। कहा जाता है कि आंवला फल में तुलसी पत्ता और बेल के गुण पाए जाते हैं।
आंवला पेड़ की परिक्रमा
महिलाएं बुधवार को आंवला पेड़ (AWALA NAVMI) की पूजा अक्षत, पुष्प, चंदन, पीला धागा, मौली धागा लपेटकर कर 108 बार परिक्रमा करेंगी। खीर, पूड़ी, सब्जी, मिठाई का भोग लगाकर भोजन ग्रहण करेंगी। साथ ही यथाशक्ति दान करने की परंपरा निभाएंगी।
ऐसे करें पूजा
- सुबह स्नान करके, भोजनादि बनाकर आंवला पेड़ के नीचे पूर्व दिशा में मुख करके बैठें। पेड़ पर दूध अर्पित करके देवों, पितरों को याद करें।
- कपूर, घी के दीप से आरती करें
- व्यंजनों का भोग अर्पित करके पेड़ के नीचे बैठकर ग्रहण करें
- घर पर आंवला का पौधा लगाएं
- पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को गरम कपड़े, कंबल का दान करें