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गागड़ा के आरोपों पर कांग्रेस का जवाब, जो गिरफ्तार हुआ वो कांग्रेस का ही नहीं

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रायपुर। भाजपा नेता महेश गागड़ा द्वारा पत्रकार वार्ता में कांग्रेस पर लगाये गये आरोपों का कांग्रेस पत्रकारों के समक्ष खंडन किया। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झूठे और गलत आरोप लगाये गये है कि कांग्रेस के किसी नेता का नक्सलियो से संबंध है। जिस व्यक्ति केजी सत्यम के बारे में दावा किया जा रहा कि वह कांग्रेस का पदाधिकारी है वह गलत है। केजी सत्यम वर्तमान में वह कांग्रेस के किसी पद पर नहीं है।

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दूसरा केजी सत्यम जिसे नक्सलवादियो के सहयोगी के रूप में गिरफ्तारी की बात कही जा रही है, उसे नक्सलवादियो ने चार दिन पहले अपहृत किया था। दरअसल केजी सत्यम जहां रहता है, उसके गांव नल्लमपल्ली 15 से 20 किमी तक किसी भी व्यक्ति के पास कोई चार चक्का की गाड़ी नहीं है। सिर्फ सत्यम के पास बोलेरो है, किसी नक्सली को आंध्र ईलाज के लिये जाना था, उसने बंदूक की नोक पर केजी सत्यम का अपहरण किया था और इस संबंध में उसके परिजनों ने भोपालपट्नम थाने में आवेदन भी दिया है। अतः यह कहना कि वह नक्सलियों का सहयोगी था, प्रथम दृष्टया गलत है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नक्सलियों से सांठगांठ भाजपा नेताओं के थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को वास्तव में नक्सलवाद पर चिंता है तो केंद्रीय गृहमंत्री से भाजपा नेताओं के नक्सलियों से संबंध की जांच करावें। भारतीय जनता पार्टी के 15 सालों में बड़े-बड़े पदाधिकारी सांसद का प्रतिनिधि सांसद का करीबी, विधायक का प्रतिनिधि, जिला पंचायत के सदस्य नक्सलवादियों के सहयोगी के रूप में सामने आया।

पूर्व में जिस भाजपा नेताओं की नक्सलियों से सांठगांठ थी उसकी जांच की भी मांग भाजपा अध्यक्ष गृहमंत्री से करें। लता उसेंडी, रमन सरकार के मंत्री रामविचार नेताम के नक्सलियों को चंदा देते रसीद सामने आई थी, धर्मेन्द्र चोपड़ा भाजपा के तत्कालीन सांसद, जगत पुजारा भाजपा के पूर्व विधायक का पुत्र जिला उपाध्यक्ष, पोडियम लिंगा भाजपा का पदाधिकारी उसकी भी जांच के लिये पत्र लिखे।

शुभ्रांशु चौधरी की पुस्तक उसका नाम वासु नहीं में पेज क्रमांक 101 में दावा किया गया कि नक्सली भाजपा नेता लता उसेंडी और विक्रम उसेंडी के घर खाना खाते थे इस किताब के तथ्यों के प्रकाशन के वर्षों बाद भी भाजपा नेताओं ने कभी खंडन नहीं किया था। रमन्ना के कुछ फॉरेस्ट अफसरों के साथ अच्छे संबंध भी रहे। ‘‘लता उसेंडी के पिता, जो फॉरेस्ट रेंजर थे, वे हमारा साहित्य नारायणपुर में छपवाते थे।’’

लता उसेंडी आज छत्तीसगढ़ की मंत्री हैं, और उनके पिता एक सरकारी संस्था, अबूझमाड़ विकास प्राधिकरण के प्रमुख हैं। विक्रम उसेंडी के घर गया हूं और उसके रिटायर्ड हेडमास्टर पिता के साथ खाना खाया है। छठे शेड्यूल के समर्थन में हुई हमारी रैली में उन्होंने भाग भी लिया था और भाषण भी दिया। जब उसेंडी एमएलए वन गए मैंने उन्हें मिलने के लिये बुलाया। वे अपनी कार में आए भी, लेकिन मुझसे मिले बिना चले गए।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जीरम के नाम पर स्तरहीन बयानबाजी नहीं होनी चाहिये। भाजपाई बेशर्मी और संवेदनहीनता की सारी सीमाओं को पार कर रहे है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार और भाजपा के नेताओं के सांठगांठ के कारण झीरम में हमारे 31 से अधिक नेताओं की हत्या हुई थी। भारतीय जनता पार्टी हमसे सवाल खड़ा करने के बजाय जवाब दें कि नक्सल झीरम की घटना के पीछे कौन लोग शामिल थे? जब राज्य में भाजपा की सरकार थी तब झीरम की जांच को रोकने गया ?

पीड़ित परिवार के बार-बार मांग करने के बावजूद सीबीआई जांच नहीं करवाई गई। एनआईएन की जांच के बिंदु में षड़यंत्र को शामिल नहीं किया गया। न्यायिक जांच आयोग जो रमन सिंह ने गठित किया था उसके दायरे में भी घटना के राजनैतिक षड़यंत्र का बिन्दु नहीं शामिल था। एनआईए दिसंबर 2018 के पहले जांच पूरी कर क्लोजर रिपोर्ट दे दिया था मतलब उसने जांच पूरी कर लिया था उसके निष्कर्ष सार्वजनिक हुए।

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कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया गया तथा उसके दायरे में षड़यंत्र के बिंदुओं को शामिल किया गया तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष जांच को रोकने हाईकोर्ट चले गये। इन सारे तथ्यों से साफ है कि भाजपा नहीं चाहती की जीरम का सच सामने आये इसीलिये न्यायिक जांच के दायरे को बढ़ाने पर उसे रोकने कोर्ट गये। इनकी केंद्र सरकार एसआईटी को फाईल नहीं देती। भाजपा किसको बचाना चाहती है? जिनके खुद के नाम नक्सलियों से मिलीभगत के लिये सामने आये है वे एक कार्यकर्ता स्तर के पदाधिकारी पर प्रेस कांफ्रेंस ले रहे यह भाजपा की बौखलाहट को बताता है।