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कोरोनाकाल में मनमाने तरीके से ख़रीदा गया 200 करोड़ के रिएजेंट

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रायपुर। कोरोनाकाल और लॉकडाउन के दौर में छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन (CGMSC) ने 200 करोड़ रुपए से अधिक के रिएजेंट ख़रीदा। अब ये रिएजेन्ट बिना इस्तेमाल बर्बाद हो रहा है।

सीजीएमएसी चुपचाप रिएजेंट खरीदता रहा। इसमें दवा-उपकरण खरीद के लिए शिथिल किए गए नियमों का भरपूर फायदा उठाया गया। इन्हें बेचनेवाली कंपनियों के पास अपने उत्पाद का पेंटेट जरूरी था, इसलिए स्थानीय स्तर पर पेटेंट तक जारी कर दिए गए। जरूरत नहीं होने की वजह से 150 करोड़ रुपए से ज्यादा के रिएजेंट एक्सपायर होकर बर्बाद हो गए। गंभीर शिकायतों के बाद इस मामले की जांच के बाद खानापूर्ति की कार्रवाई भी हुई, लेकिन गोलमाल अब तक फाइलों में ही दबा है।

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क्या है रिएजेंट

ब्लड, यूरीन, विटामिन या इसी तरह की जितनी (CGMSC)  भी जांचें लैब में बायोकेमिस्ट्री से जुड़ी मशीनों से होती हैं, उन मशीनों में डाले जाने वाले लिक्वि़ड या पावडर को रिएजेंट कहते हैं। ये सैंपल के साथ मिलकर रासायनिक क्रिया शुरू करते हैं।

जरूरत नहीं फिर भी हुई थी खरीदी

साल 2021 और मई 2022 के बीच सीजीएमएससी में रिएजेंट खरीदी और टेंडर गड़बड़ियों की तीन शिकायतें मिली थीं। एक की जांच हुई और प्यून को नौकरी से निकाल दिया। दूसरी शिकायत (CGMSC) की जांच चल रही है। एक और खरीदी के लिए जीएम टेक्निकल का ट्रांसफर किया गया है। अफसरों से जीएम टेक्नीकल के खिलाफ एक अन्य शिकायत पर जांच प्रतिवेदन भी मांगा गया। दो साल में इसके अलावा कोई जांच आगे नहीं बढ़ी।

कोरोना काल में लगभग 200 करोड़ के रिएजेंट की खरीदी में हुई गडबड़ी की जांच के लिए एसीबी ने सीजीएमएससी को इस साल मई में पत्र लिखा। इसके पहले कि एसीबी को जांच की अनुमति मिलती, उस दौर में जीएम टेक्निकल रहे अफसर को उनके मूल ड्रग विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया। मामले में दवा निगम के अधिकारियों का कहना है, कि दो साल पहले रिएजेंट और दवा की खरीद में गड़बड़ी को लेकर अगर कोई विभागीय जांच हुई है, तो इस बारे में फिलहाल मुझे नहीं पता है।