कवर्धा। जिले में गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कवर्धा शहर (KAWARDHA NEWS) के सरदार पटेल मैदान में दूसरे गांव से आए मूर्तिकार गणेश प्रतिमाओं को मूर्त रूप देने में लगे हुए हैं। हालांकि मूर्तियों को लेकर उनके मन में अभी भी संशय बरकरार है। पिछली बार कोरोना गाइडलाइन के चलते उनका काफी नुकसान हुआ था, इसलिए इस साल वे कम संख्या में मूर्तियां बना रहे हैं। वहीं इस वर्ष उत्सव को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। इसके बाद भी गणेश चतुर्थी को लेकर लोगों में उत्साह कम है। इसके अलावा सामानों के दाम बढ़ने के कारण मूर्तियों की कीमत भी बढ़ गई है। इसकी वजह से ग्राहक भी कहीं न कहीं प्रभावित हुए हैं।
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इस बार गणेश प्रतिमा की स्थापना (गणेश चतुर्थी) 31 अगस्त को होनी है। इसके लिए मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरदार पटेल मैदान में मूर्ति बना रहे राम कुमार कुंभकार, महेश कुंभकार ने बताया कि दो साल से कोरोना की वजह से उनका धंधा चौपट था, लेकिन इस बार कुछ बेहतर होने की उम्मीद (KAWARDHA NEWS) वे कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर साल यहां आने के बाद उन्हें सैकड़ों मूर्तियों के ऑर्डर और रकम एडवांस में मिल जाती थी, लेकिन इस बार लोग मूर्तियों की पहले बुकिंग करने से बच रहे हैं। इस बार महंगाई की वजह से धंधा मंदा है। पहले की तुलना में मूर्तियां महंगी हो गई हैं। साल 2019 तक सब कुछ अच्छा था, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के बाद से उनका व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा है। इस बार भी वे डर-डरकर काम कर रहे हैं।
तीन हजार से अधिक मूर्तियां तैयार
शहर के सरदार पटेल मैदान के मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले साल कोरोना के चलते एक भी बड़ी मूर्ति का निर्माण नहीं किया गया था। घरों में स्थापित होने वाली छोटी मूर्तियों का ही निर्माण किया गया था। जिसमें भी 100 मूर्तियों में कुछ मूर्तियां बच गई थी। इस साल भी अबतक सिर्फ 4 फीट ऊंची 3 मूर्तियों के ही आर्डर मिले हैं। छोटी मूर्तियों पर ही आमदनी की उम्मीद है। लेकिन उसकी भी मांग उतनी नहीं दिख रही है। यहां करीब तीन हजार से अधिक मूर्ति तैयार कर चुके है।
इनमें से 700 मूर्ति की बुकिंग हुई है। वर्तमान में न्यूनतम 300 रुपए से लेकर 7 हजार रुपए तक की मूर्ति बनाई जा रहीं है। वर्तमान में मूर्ति निर्माण में लगने वाले बांस व अन्य सामानों के दाम काफी बढ़ गए हैं। एक मूर्ति बनाने में 4 दिन लग जाते हैं। लेकिन उसके अनुसार अब पैसे नहीं मिलते हैं। कोरोना के चलते मांग काफी कम हो गई है। बीते दो वर्ष से छोटी मूर्ति की सबसे ज्यादा डिमांड है। लोग सामूहिक रूप से आयोजन को लेकर ज्यादा रुचि नहीं ले रहे है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति पर रोक जारी
इधर कलेक्टर ने आगामी त्योहार व सार्वजनिक उत्सव को ध्यान में रखते हुए नगरीय क्षेत्रों में सुविधा और सुरक्षा के लिए समुचित व्यवस्था करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि नदी में मूर्तियों का विसर्जन किसी भी परिस्थितियों में न करें। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक कार्रवाई करे। साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) व अन्य प्रतिबंधित सामाग्री से बनी मूर्तियों के निर्माण को रोकने के लिए कार्रवाई के निर्देश दिए है।
आगामी तीज, गणेश पर्व, दुर्गा पूजा, पितृमोक्ष, अमावस्या व सार्वजनिक आयोजन के लिए तालाब, घाट पर साफ-सफाई की व्यवस्था, ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव, फागिंग की व्यवस्था करने कहा है। तालाबों, घाटों पर विसर्जन के पूर्व पूजन सामान को अलग-अलग कर उपयुक्त स्थल पर रखने निर्देश दिए गए है।
कोरोना काल के पहले ऐसी थी स्थिति
शहर में साल 2019 तक दर्जनों स्थान पर जनसहयोग से गणेश प्रतिमा की स्थापना होती थी। 10 दिनों तक बहुत उत्साह का माहौल रहता था। फिर साल 2020 में कोरोना महामारी आई, जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य हो गया।
प्रशासन ने कोविड 19 गाइडलाइन जारी की। कई दिनों तक दुकान- बाजार सब बंद रहे, करीब दो साल तक स्कूल और लंबे समय तक सिनेमा हॉल व पार्क तक बंद रहे। इसकी वजह से काफी नुकसान हुआ। इस वर्ष उत्सव को लेकर कई प्रकार की छूट दी गई है। अब तो अनुमति भी अनिवार्य नहीं की गई है। इसके बाद लोगों में उत्सव को लेकर रुचि नहीं दिखाई दे रहीं है।
त्योहारों की रौनक फीकी, मूर्तिकारों में मायूसी
इसी प्रकार जिले के ग्रामीण अंचल में त्योहारों की भी रौनक फीकी रही है। बीते दो वर्ष से गणेश चतुर्थी भी बस नाम के लिए मन गई। 2020-21 में मूर्तिकारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। कुम्हारों का भी धंधा चौपट रहा। इसका प्रभाव 2022 में भी नजर आ रहा है। अधिकतर लोगों की आर्थिक स्थिति कोरोना के कारण कमजोर हुई, ऐसे में लोग मूर्तियों की एडवांस बुकिंग से बच रहे हैं। इस बार पहले की तरह का उत्साह गणेश स्थापना करने वाली समितियों में भी नजर नहीं आ रहा है।