चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को चार माह में अर्दली व्यवस्था (AARDALI VYAVASTHA) समाप्त करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार को भी इस संबंध में कोई शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
जस्टिस एस एम सुब्रमण्यम ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी पुलिस अधिकारियों के आवासों पर घरेलू और अन्य काम के लिए औपनिवेशिक दासता प्रणाली प्रचलित है। यह संविधान व लोकतंत्र पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों के कहने पर प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों (AARDALI VYAVASTHA) की गरिमा का उल्लंघन किया जाता है तो अंतिम श्रेणी के पुलिककर्मी बेआवाज हो जाते हैं।
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इससे पहले डीजीपी ने कोर्ट को बताया था कि उच्च अधिकारियों से घरेलू कार्य के लिए वर्दीधारी अधिकारियों का उपयोग नहीं करने का वचन लिया जा रहा है। प्रशिक्षित पुलिसकर्मी शीर्ष अफसरों के आवास पर आधिकारिक कार्य करने के लिए अन्य ड्यूटी के आधार पर प्रतिनियुक्त किए गए थे। डीजीपी ने आश्वासन दिया कि अर्दली व्यवस्था खत्म करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
यू मानिकवेल ने लगाई थी याचिका
पुलिस अधिकारियों के आवासों पर अर्दलियों (AARDALI VYAVASTHA) की नियुक्ति पर चर्चा अदालत में याचिका के बाद शुरू हुई। याचिकाकर्ता यू मानिकवेल ने तमिलनाडु सार्वजनिक परिसर के आवास से बेदखल किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि उनका सेवा क्षेत्र चेन्नई सीमा में आता है। इसी दौरान अर्दली प्रथा की तरफ अदालत का ध्यान खींचा गया।