रायपुर। शारदीय नवरात्र में आज महाष्टमी और नवमी दोनों ही तिथियां एक साथ है। इस लिहाज़ से आज शहर के देवी मंदिरों और तड़के सुबह ही राजधानी के देवी मंदिरों और पूजा पंडालों में हवन का सिलसिला शुरू हुआ। सुबह 6:00 बजे से राजधानी के सबसे प्राचीन मंदिर मां महामाया में हवन शुरू हुआ। जिसकी पूर्णाहुति लगभग 9:30 बजे की गई।
इस बारे में जानकारी देते हुए पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “मां महामाया का सप्तमी तिथि में निशा पूजन के बाद श्रृंगार और भव्य आरती हुई। जिसके तत्काल बाद मंदिर प्रांगण में हवन की तैयारियां शुरू हुई और सुबह 6:00 बजे से ट्रस्ट के सीमित सदस्यों और पुजारियों की उपस्थिति में महामाया मंदिर में हवन पूजन आरंभ किया गया। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की जारी गाइडलाइन के मुताबिक हवन के दौरान कोई इस बार भक्तों का मंदिर में प्रवेश नहीं हो पाया।
आज ही अष्टमी और नवमी
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “आज सुबह 11 बजकर 27 मिनट के बाद अष्टमी तिथि समाप्त हो कर नवमी में प्रवेश हो चूका है। महाअष्टमी की शुरुआत 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से हो चुकी है, जो आज 11 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हुई। उदया तिथि होने की वजह से अष्टमी तिथि आज शनिवार को ही मनाई जा रही है। वही नवमी कल यानी 25 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी, जिसके बाद दशमी लग जाएगी।”
अष्टमी में होती है महागौरी की पूजा
नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक माता का रंग अत्यंत तेजस्वी और साफ है, इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप को महागौरी के नाम से जाना जाता है।मां गौरी ने कठिन तप कर गौर वर्ण प्राप्त किया था।
मनोकामना पूरी करती है सिद्धिदात्री
वही आज ही माता के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की भी पूजा अर्चना की गई। माँ सिद्धीदात्री अपने भक्तों पर वांछित मनोरथ को सिद्ध करने वाली कृपा बरसाती है। ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री के रूप में संपूर्ण विश्व व्याप्त है, इन्हें करुणामई भी कहा जाता है, जो भी भक्त इनकी पूजा पूरी श्रद्धा से करता है उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती।