पटना। बिहार में JDU से झटका मिलने के बाद अब भाजपा एनडीए का दायरा बढ़ाने के लिए नए सिरे से सहयोगी दलों को जुटाएगी। इसके लिए वह नर्म रुख अपनाने से भी गुरेज नहीं करेगी। पहला कदम बिहार से ही उठाया जाएगा। पार्टी यहां विभाजित लोजपा को फिर एकजुट करने की कोशिश करेगी। महाराष्ट्र के घटनाक्रम से निराश विपक्षी खेमे को बिहार ने नया हौसला दिया है। JDU के साथ आने से लोकसभा में सरकार का विरोध करने वाले सदस्य पहली बार 100 के पार निकल गए हैं।
छोटे दलों का दबदबा कम, पर एनडीए का वोट शेयर बढ़ा था
सूत्रों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में 35 राज्यों में से 17 में भाजपा करीब 50% वोट पाने में सफल रही थी। यूपी में 49.6% वोट हासिल करने में अपना दल (एस) की अहम भूमिका रही। झारखंड में आजसू, महाराष्ट्र में शिवसेना, असम में AGP और उत्तर-पूर्व में NPF, MNF, BPF, SKM, IPFT जैसे दलों के गठजोड़ से भाजपा को बड़ी सफलता मिली।
इन दलों का दबदबा सीटों के लिहाज से कम या नहीं है, लेकिन भाजपा को जिताने में इनके वोट अहम हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि महाराष्ट्र में शिंदे गुट साथ है ही। वहां शेतकारी किसान संगठन, कर्नाटक में JDS, केरल में भारतीय जनसेना, आंध्र में TDP, पंजाब में अकाली जैसे दलों से गठबंधन को लेकर दोबारा बातचीत शुरू की जा सकती है।
क्षेत्रीय सहयोगियों को खत्म कर रही भाजपा
शरद पवारएनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नीतीश का समर्थन करते हुए कहा, नड्डा ने कहा था कि क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व नहीं रहेगा। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सहयोगियों को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। नीतीश कुमार की भी यही शिकायत थी।