दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COART) ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। कोर्ट ने PMLA के उन प्रावधानों की वैधता को कायम रखा है, जिनके खिलाफ आपत्तियां लगाई गई थीं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत 242 याचिकाकर्ताओं ने PMLA के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा
1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनफोर्समेंट केस इन्फर्मेशन रिपोर्ट ECIR को FIR के बराबर नहीं (SUPREME COART) माना जा सकता है। ये ED का इंटरनल डॉक्यूमेंट है।
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ECIR रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है।