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जो पेट्रोल-डीजल उड़ जाता है, उस पर भी कमा रही सरकार

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भोपाल। राज्य सरकार (MP NEWS) पेट्रोल-डीजल के उस हिस्से पर टैक्स लगाकर हर साल 68 करोड़ रु. कमा लेती है, जो पेट्रोल पंप पर टैंकर खाली करने और गाड़ियों में डालने के दौरान उड़ जाता है। खुद पेट्रोलियम कंपनियां इसे हैंडलिंग लॉस बताकर इसकी भरपाई करती हैं।

आयकर विभाग भी पेट्रोल-डीजल बिजनेस से जुड़े लोगों की आय पर हैंडलिंग लॉस को शामिल नहीं करता, लेकिन मप्र सरकार इस हिस्से पर भी लंबे समय से टैक्स लगा रही है। पेट्रोल पंप संचालक जितना पेट्रोल-डीजल तेल विपणन कंपनियों के डिपो से उठाते हैं, उस पूरे हिस्से पर राज्य सरकार वैट लगा देती है। जबकि तेल कंपनियां पेट्रोल में 0.6% और डीजल में 0.2% हेंडलिंग लॉस मानती हैं।

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इसके मायने यह हैं कि अगर डीलर (MP NEWS) ने 1000 लीटर पेट्रोल लिया है तो इसमें छह लीटर हवा में उड़ जाएगा। 1000 लीटर डीजल में 2 लीटर हैंडलिंग लॉस होगा। अगर संचालकों ने 1000 लीटर पेट्रोल लिया है तो राज्य सरकार इस पूरे हिस्से पर टैक्स लगा देती है। लेकिन हैंडलिंग लॉस वाले हिस्से को छोड़कर केवल 994 लीटर की ही टैक्स क्रेडिट जारी करती है।

6 बातों से समझें हवा-हवाई कमाई 

  • तेल कंपनियां मानती हैं कि पेट्रोल-डीजल डिपो से लाने, पंप के टैंक में खाली करने और इसके बाद इसे नोजल से गाड़ी में डालने में एक हिस्सा वाष्पीकृत हो जाता है, क्योंकि यह एक बेहद ज्वलनशील पेट्रो केमिकल है और जल्द ही हवा के संपर्क में आता है।
  • पेट्रोलियम मंत्रालय की गाइडलाइन कहती है कि पेट्रोल 0.6% वाष्पीकृत हो जाता है, जबकि डीजल 0.2%। इसे कामकाजी भाषी में हैंडलिंग लॉस कहते हैं। इस हिसाब से 1 हजार लीटर पेट्रोल में 6 लीटर और 1 हजार लीटर डीजल में 2 लीटर वाष्पीकृत होता है।
  • केंद्र सरकार के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के अनुसार मप्र में रोज 2 करोड़ लीटर पेट्रोल-डीजल की बिक्री होती है। इसमें 1.2 करोड़ लीटर डीजल और 80 लाख ली. पेट्रोल का हिस्सा है।
  • इस हिसाब से मप्र में रोजाना 1.2 करोड़ लीटर डीजल में 24 हजार लीटर और 80 लाख लीटर पेट्रोल में 48 हजार लीटर वाष्पीकृत होता है।
  • मप्र सरकार सभी टैक्स मिलाकर एक लीटर डीजल पर 18.22 रुपए और 1 लीटर पेट्रोल पर 29.37 रुपए टैक्स लगाती है। यानी वह रोजाना डीजल पर टैक्स से 21.86 करोड़ रुपए और पेट्रोल 23.49 करोड़ रुपए टैक्स लेती है।
  • वाष्पीकृत पेट्रोल पर रोजाना 14.09 लाख रुपए और वाष्पीकृत डीजल पर रोजाना 4.37 लाख रु. का टैक्स रोजाना के हिसाब से पेट्रोल पर सरकार 51.42 करोड़ सालाना और 16 करोड़ रुपए डीजल से आय अर्जित कर लेती है।

क्या करना चाहिए?

जानकार कहते हैं कि राज्य सरकार (MP NEWS) को चाहिए कि वह शुरू से ही 1000 लीटर के बजाय 994 लीटर पर ही वैट लगाए। क्योंकि जब तेल कंपनियां और आयकर विभाग हेंडलिंग लॉस को मान्यता देता है तो राज्य सरकार को इसे मानने में क्या हर्ज।

ऐसा टैक्स लेना सही नहीं

टैक्स विशेषज्ञ मुकुल शर्मा बताते है, कि हैंडलिंग लॉस पर टैक्स लेना बिल्कुल सही नहीं है। सरकार जब यह मानती है कि इस डीलर हेंडलिंग लॉस वाले हिस्से की बिक्री नहीं कर पाता तो फिर इसे पर पहले ही टैक्स लेना ठीक नहीं। सरकार को अपने वैट कानून में बदलाव लाना चाहिए।