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एएसआइ का हलफनामा : कुतुबमीनार पूजास्थल नहीं

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दिल्ली। कुतुबमीनार (QUTUB MINAR) में हिंदू और जैन देवी देवताओं को फिर से बहाल करने की अर्जी पर सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने हलफनामा दायर किया है।

एएसआइ ने हलफनामे में लिखा है, कि यहां किसी भी धर्म को पूजा-पाठ की इजाजत नहीं दी जा सकती है, क्योंकि इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है। अदालत से मांग की गई थी, कुतुबमीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद 27 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़ बनाई गई है, इसलिए उन देवी-देवताओं को फिर सम्मानपूर्वक बहाल करने की इजाजत दी जाए, जो पहले वहां अवस्थित थे।

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फैसला 9 जून तक सुरक्षित रख लिया

अतिरिक्त जिला जज निखिल चोपड़ा ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला 9 जून तक सुरक्षित रख लिया। निचली अदालत (सिविल जज) के फैसले को चुनौती देने वाली यह याचिका हिंदू देवता भगवान विष्णु और जैन तीर्थंकर ऋषभदेव एवं अन्य की ओर से दायर की गई थी। एएसआइ ने जिला अदालत में कहा कि कुतुबमीनार (QUTUB MINAR) परिसर को प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम- 1958 के तहत सुरक्षित किया गया है। इसी के तहत परिसर में स्थित मस्जिद के स्वरूप को खत्म कर दिया गया है।

हिंदू-जैन पक्ष के वकीलों ने दलील दी है कि मंदिरों को तोड़कर बनाई गई इस मस्जिद में पिछले 800 साल से नमाज अदा नहीं की गई है। इसलिए ढांचे (QUTUB MINAR) में तोड़फोड़ किए बिना यहां पूजा-पाठ की अनुमति देने में कोई समस्या नहीं है। किसी स्थान पर देवता का वास हो जाए तो हमेशा के लिए होता है। उसे कभी खत्म नहीं किया जा सकता। इस पर अदालत ने मजाकिया लहजे में कहा कि जब पूजा-पाठ के बगैर 800 साल से देवी-देवता वहां अवस्थित रह सकते हैं तो आगे भी क्यों नहीं उन्हें ऐसे ही रहने दिया जाए।

ज्ञानवापी में अब 26 को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मामले की सुनवाई मंगलवार को वाराणसी के जिला जज डॉ. ए.के. विश्वेश की अदालत में हुई। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी। सुनवाई के दौरान जिला जज ने स्पष्ट किया है कि सबसे पहले इसकी सुनवाई होगी कि मामला स्वीकार करने लायक है या नहीं। अदालत ने दोनों पक्षों से ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट पर एक हफ्ते में आपत्तियां दाखिल करने को कहा है।