भोपाल। राजधानी भोपाल में अगले कुछ सालों में रोबोट सर्जरी (ROBOTIC SURGERY) करेंगे। लंग्स ट्रांसप्लांट की सुविधा भी राजधानी में ही मिलेगी। भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित टीबी हॉस्पिटल की जमीन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी डिसीजेज और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ऑर्थोपेडिक्स का भूमिपूजन करेंगे। पहले 25 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका भूमिपूजन करने वाले थे, लेकिन 28-29 मई को उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर के लोकार्पण के दौरान इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन संस्थानों का भूमिपूजन कराने की योजना बनी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 17.38 हेक्टेयर (42.94 एकड़) में ये दोनों इंस्टीट्यूट बनाए जाएंगे।
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हड्डी के उत्कृष्टता संस्थान में रोबोट करेंगे सर्जरी
क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान से ही जुड़ा आर्थोपेडिक्स का उत्कृष्टता संस्थान बनाया जाएगा। ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के पूर्व HOD डॉ. संजीव गौर ने बताया कि यह मध्यभारत में हड्डी की बीमारी के इलाज (ROBOTIC SURGERY) का सर्वश्रेष्ठ संस्थान होगा। यहां पर रोबोटिक सर्जरी, स्पोर्ट्स इंज्युरी का इलाज, स्पाइन सर्जरी, कूल्हा और घुटना ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलेगी। कम्प्यूटर नेविगेशन से यहां सर्जरी की जाएगी। यहां के फैकल्टी का भी अलग कैटेगरी में सिलेक्शन किया जाएगा। केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से हड्डी रोग उत्कृष्टता संस्थान के लिए 95 करोड़ रुपए मिले हैं।
एयरपोर्ट अथॉरिटी की आपत्ति के बाद बदली डिजाइन
करीब दो साल पहले केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से इन संस्थानों के लिए राशि भी मिल चुकी थी, जीएमसी प्रबंधन ने जगह चिन्हित करने में ही एक साल का समय लगा दिया। निर्माण एजेंसी पीआईयू के अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा टीबी अस्पताल के पीछे भूतल के अलावा दो मंजिला भवन बनाया जाएगा। इसकी ऊंचाई 12 मीटर होगी। मौजूदा टीबी अस्पताल को घेरते हुए अगल -बगल पहले दोनों संस्थान बनाए जाने थे, लेकिन हवाई जहाज के फ्लाइंग रेंज में होने की वजह से एयरपोर्ट अथॉरिटी की आपत्ति के कारण जगह को बदल दिया गया है। संस्थान का निर्माण 2 साल में पूरा हो जाएगा।
कंस्ट्रक्शन पूरा होने से पहले आएंगे इंस्ट्रूमेंट
इन दोनों संस्थानों में लगने वाले उपकरणों (ROBOTIC SURGERY) की खरीद के लिए बजट भी मंजूरी हो चुका है। जब तक बिल्डिंग का निर्माण पूरा होगा तब तक उपकरणों की खरीदी भी पूरी हो जाएगी। ऐसे में कंस्ट्रक्शन पूरा होने के तुरंत बाद ही इसका फायदा मरीजों को मिल सकेगा। 54 करोड़ रुपए से तैयार होने वाले रेस्पिरेटरी इंस्टीट्यूट में लंग्स ट्रांसप्लांट के साथ फेफड़ों के कैंसर की जांच भी की जाएगी। यहां श्वसन तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के साथ रिसर्च भी किया जाएगा।