spot_img

संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, दुनिया को दुखमुक्त करने की राह दिखा रहा है “भारत”

HomeNATIONALसंघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, दुनिया को दुखमुक्त करने की राह दिखा...

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करने की राह भारत दिखा रहा है। इसके अब कई प्रमाण मिल रहे हैं। निस्वार्थ बुद्धि से यह काम चलता है, यही हम सबका कर्तव्य है।

भैयाजी ये भी देखे : रक्षा मंत्रालय में हुई अब तक की सर्वाधिक ख़रीदी, 15,047.98 करोड़…

संघ प्रमुख मोहन भागवत शनिवार को सहारनपुर के मोक्षायतन योग संस्थान के 49वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि योग का मतलब है झुकना। कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं। हमारे यहां जीवन में बुद्धि शरीर के लिए नहीं है।

मनुष्य के अस्तित्व का सूत्र एक है, इसे जो समझ लेता है उसका कोई शत्रु नहीं रहता, कोई दुख नहीं रहता। ऐसा जीवन जीकर दिखाना हमारा दायित्व है। हमारे पूर्वजों ने यह दायित्व हमें दिया है। दुखमुक्त होने के बाद हमें दुनिया को दुखमुक्त करना है। हमेशा समुद्र की लहरें होती हैं, लहरों के समुद्र नहीं होते। स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करना, यही भारत है।

उन्होंने कहा कि अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा। इसके पीछे के सत्य को देखना योग है। प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित करना योग है। संतुलन भी योग है। योग का पेटेंट भारत के नाम पर हो, यह योग भारत का है। दुनिया कल्पना करती है शांति की, बात यही बताएंगे लेकिन यह होगा कैसे यह दुनिया के पास नहीं है। क्योंकि उनके पास इसका तरीका नहीं है, उनके पास सिर्फ भौतिक ज्ञान है।

डा. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया का स्वरूप सत्य है। हर बात के पीछे एक सत्य होता है। गीता में भी कहा गया है। बंधन क्यों होता है। मानव में असीम शक्ति होती है। हमारे शरीर मन बुद्धि की प्रवित्तियों के बारे में दिखाई नहीं देता, जो बीच में आ गया वही दिखता है। जो शांत है उसका सब दिखता है।

भैयाजी ये भी देखे : Yes बैंक-DHFL घोटाला : CBI ने मुंबई और पुणे के 8…

यानी जो ऊपर की माया है मन बुद्धि शरीर। आज का न्यूरो साइंस कहता है कि माया है, वही आप समझ पाते हो जिसे आपके साफ्टवेयर में डाला गया है। कहा कि योग हमें समुदाय पर्यावरण प्रकृति से जोड़ता है। कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं।