दिल्ली। कोयला खदान आवंटन घोटाले (Koyla Aawantan Ghotaala) में दोषी मेयफेयर ग्रुप के मालिक और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय को उम्रकैद की सजा देने की मांग CBI ने बुधवार को विशेष अदालत में की है। वर्ष 1999 में झारखंड में कोयला खदान आवंटन में अनियमितता के मामले में विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री दिलीप राय को दोषी ठहराया था। दोषी दिलीप राय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे। बुधवार को विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने सीबीआई और दोषी का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सरक्षित रख लिया। अदालत 26 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी।
पूर्व मंत्री के साथ ये भी दोषी
विशेष अदालत (Koyla Aawantan Ghotaala) ने पूर्व मंत्री राय के अलावा, कोयला मंत्रालय के दो तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी प्रदीक कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम और कास्ट्रोन टेक्नोलॉजी लिमिटेड (सीटीएल) के निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को दोषी ठहराया है। सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा के अलावा दोषी कंपनी सीटीएल और कास्ट्रोन माइनिंग लिमिटेड (सीएमएल) पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से लोक अभियोजक वी.के. शर्मा और ए.पी. सिंह ने कहा कि सफेदपोश अपराध बढ़ रहा है, ऐसे में इस पर नियंत्रण के लिए दोषियों को अधिक से अधिक सजा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज को एक संदेश देने की जरूरत है कि सफेदपोश अपराध में भी कड़ी सजा मिल सकती है। कोयला आवंटन घोटाला (Koyla Aawantan Ghotaala) में यह पहला ऐसा मामला है जिनमें ऐसी धारा के तहत आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। जिसमें उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। पूर्व मंत्री दिलीप राय सहित सभी दोषियों ने अदालत से नरमी बरतने और कम से कम सजा देने की मांग की है।