नई दिल्ली। आपातकाल के दौरान तीहाड़ जेल से राजमाता ने अपनी बेटियों को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने चिट्ठी में जो लिखा था उसमें बहुत बड़ी सीख थी। उन्होंने लिखा था- अपनी भावी पीढ़ियों को सीना तान कर जीने की प्रेरणा मिले इस उद्देश्स से हमें आज की विपदा को धैर्य के साथ झेलना चाहिए। ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए। लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया। एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं। लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया। ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “राजमाता विजयाराजे सिंधिया” के लिए कहीं है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “राजमाता विजयाराजे सिंधिया” की जयंती पर विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन किया। इस विमोचन समारोह में पीएम ने ऑनलाइन इसका विमोचन किया है। उन्होंने राजमाता विजयाराजे सिंधिया को याद करते हुए श्रद्धाजंलि दी और उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद किया। विमोचन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके जीवन काल पर अपना वक्तव्य दिया।
पीएम श्री @narendramodi ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 'राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी' के सम्मान में विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन किया। #RajmataScindia pic.twitter.com/6BihMVQY1C
— BJP (@BJP4India) October 12, 2020
युवा नेता के तौर पर कराई पहचान-मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि “एकता यात्रा के समय विजया राजे सिंधिया जी ने मेरा परिचय गुजरात के युवा नेता नरेन्द्र मोदी के तौर पर कराया था, इतने वर्षों बाद आज उनका वही नरेन्द्र देश का प्रधानसेवक बनकर उनकी अनेक स्मृतियों के साथ आपके सामने है।” उन्होंने कहा कि “आज राजमाता जी जहां भी हैं, हम सबको देख रही हैं, हमें आशीर्वाद दे रहीं हैं। जिनका उनसे सरोकार रहा है, जिनकी वो सरोकार रही हैं, वो कुछ लोग इस कार्यक्रम में मौजूद हैं। देश में ये कार्यक्रम आज वर्चुअल रूप से मनाया जा रहा है।”
स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजाद भारत तक अनुभव
पीएम मोदी ने उनके अनुभवों का ज़िक्र करते कहा कि “स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं। आजादी से पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाने से लेकर, आपातकाल और राम मंदिर आंदोलन तक, राजमाता के अनुभवों का व्यापक विस्तार रहा है। उन्होंने कहा कि – राजमाता जी कहती भी थीं- मैं एक पुत्र की नहीं, मैं तो सहस्त्रों पुत्रों की मां हूं। हम सब उनके पुत्र-पुत्रियां ही हैं, उनका परिवार ही हैं। ये मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे राजमाता जी की स्मृति में 100 रुपये के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन करने का मौका मिला।”