रायपुर। पारंपरिक त्योहार छेरछेरा पुन्नी सोमवार को छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मना। इस त्योहार में लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं।
नवा रायपुर (RAIPUR NEWS) के प्रभावित किसान भी सोमवार को अन्न का दान मांगने के लिए सीएम हाउस गए थे, लेकिन पुलिस बलों ने उन्हें सीएम हाउस के अंदर नहीं जाने दिया। उन्हें कहा गया कि सीएम साहब बंगले में नहीं हैं। ऐसे में अन्न का दान लिए बगैर किसान लौट गए।
भीख नहीं बल्कि अधिकार मांगने पहुंचे थे सीएम हाउस
3 जनवरी से करीब 27 गांव के किसान अपनी मांगों को लेकर नवा रायपुर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। बीते 1 सप्ताह से मौसम खराब होने के बाद भी बारिश और ओलावृष्टि के बीच अनिश्चितकालीन हड़ताल (RAIPUR NEWS) जारी है। सोमवार को छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार छेरछेरा पुन्नी मनाया गया। इसमें लोग घर-घर जाकर अन्न मांगते हैं और इस तरह का गीत गाते हैं। छेरिक छेरा छेर छेरा, माई कोठी के धान ला हेर हेरा। अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन।। इस गीत का मतलब है अन्न का दान जब तक नहीं देंगे तब तक यहां से नहीं जाएंगे। लेकिन प्रभावित किसान सीएम हाउस से मायूस लौट गए।
प्रभावित किसानों को सीएम हाउस से खाली हाथ लौटना पड़ा
सीएम हाउस पहुंचे किसान के परिजनों का कहना है कि हम मुख्यमंत्री से भीख मांगने नहीं आए थे बल्कि झोली फैला कर अपना अधिकार मांगने आए थे। प्रभावित किसान (RAIPUR NEWS) का कहना है कि आज के दिन किसी के घर जाने से अन्न का दान जरूर मिलता है, लेकिन सीएम हाउस से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। आज छेरछेरा पुन्नी के माध्यम से उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनकी मांग और अधिकार दोनों पूरा कर देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसका उन्हें अफसोस है।
प्रभावित किसानों की ये हैं 6 सूत्री मांगें
- नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी आवासी और व्यावसायिक भूखंड पात्रता अनुसार नि:शुल्क दिए जाने के प्रावधान का पालन किया जाए।
- भू-अर्जन कानून के तहत जमीन के मालिकों को मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा राशि दी जाए। नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए।
- पुनर्वास पैकेज 2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाले 1200 स्क्वायर फीट का प्लॉट दिया जाए।
- जमीन खरीद-बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए और आबादी से लगी जगह पर गुमटी चबूतरा दुकान व्यावसायिक परिसर को 75 फीसदी तक प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए।
- नया रायपुर के दफ्तरों में निकलने वाली भर्तियों में प्रभावित किसान के बच्चों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाए।