दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal) को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सबसे बड़ी बात ये है कि वह देश के पहले समलैंगिक जज हो सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में कृपाल की प्रस्तावित नियुक्ति उनकी कथित यौन अभिरूचि के कारण विवाद का विषय थी। ये फैसला न्यायपालिका के इतिहास में भी एक मिसाल बन सकता है।
भैयाजी ये भी देखे : डेंगू बेलगाम, अब तक सामने आए 5277 मामले, 9 लोगों की मौत
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से बयान जारी है, जिसमें बताया गया है कि 11 नवम्बर को कोलेजियम की बैठक हुई थी। जिसमें उनके नाम पर सिफारिश की गई। इससे पहले इस साल मार्च में में भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल (Advocate Saurabh Kripal) को जज बनाये जाने को लेकर पूछा था कि सरकार इस बारे में अपनी राय स्पष्ट करे।
2017 में कृपाल को जज बनाने की गई थी सिफारिश
कृपाल को 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, केंद्र ने कृपाल की कथित यौन अभिरूचि का हवाला देते हुए उनकी सिफारिश के खिलाफ आपत्ति जताई थी। सिफारिश पर विवाद और केंद्र द्वारा कथित आपत्ति को लेकर पिछले चार वर्षों से कई अटकलें लगाई जा रही थीं। इसके अलावा, कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में चार वकीलों तारा वितास्ता गंजू, अनीश दयाल, अमित शर्मा और मिनी पुष्करणा की पदोन्नति के लिए अपनी पिछली सिफारिश को दोहराने का भी संकल्प लिया है।
कौन हैं सौरभ कृपाल
सौरभ कृपाल , जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे हैं जो मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट के 31 वें मुख्य न्यायाधीश थे। सौरभ कृपाल , दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स है। बीएससी की पढ़ाई के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से लॉ की पढ़ाई की। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से उन्होंने लॉ में मास्टर की डिग्री ली। भारत आने से पहले जेनेवा में यूनाइटेड नेशंस के लिए कुछ समय तक काम किया था। लॉ प्रैक्टिस के क्षेत्र में उन्हें करीब दो दशक पुराना अनुभव है। खास तौर से वो सिविल, वाणिज्यिक और संवैधानिक मामलों को देखते रहे हैं। सौरभ कृपाल, खुले तौर पर एलजीबीटी समाज के प्रति अपनी राय रखते रहे हैं और कई केस को अदालत की दहलीज तक ले गए।