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बिहार चुनाव: 27 पूर्व प्रत्याशी चुनाव लडऩे से पहले ही मैदान से बाहर

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पटना. बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Elections) में आयोग ने चाबुक चलाते हुए 27 पूर्व प्रत्याशियों को चुनाव मैदान से बाहर कर दिया है। आयोग ने पूर्व प्रत्याशियों पर 3 वर्षों की रोक लगाई है। इन सभी प्रत्याशियों की समय-सीमा 2021 और 2022 तक के लिए नियत की गयी है। इन प्रत्याशियों पर चुनाव के बाद चुनाव आयोग (Bihar Elections) को चुनाव खर्चे का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण यह कार्रवाई की गयी है। आम चुनावों में जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरते हैं, उन्हें चुनाव के बाद चुनाव में किए गए खर्चो का ब्यौरा देना जरूरी है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन

इन पूर्व प्रत्याशियों (Bihar Elections) ने चुनाव खर्चो का ब्यौरा नहीं देने का कोई वास्तविक कारण भी आयोग को नहीं बताया। आयोग के सूत्रों ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा (क) के तहत यदि कोई व्यक्ति चुनाव परिणाम आने के 30 दिनों के अंदर चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं देता या ब्यौरा नहीं देने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाता है तो चुनाव आयोग उसके अगले तीन वर्षो तक चुनाव लडऩे पर रोक लगा सकता है।

ये पूर्व प्रत्याशी हुए बाहर

अलीनगर के अनंत कुमार, केवटी के विजय कुमार, अशोक कुमार झा , खगडय़िा की बबिता देवी, कुशेश्वर स्थान, के तुरंती सदा बेनीपुर के तारांकात झा, जितेंद्र पासवान, हायाघाट के मो. अरशद, रामसखा पासवान, पातेपुर के लखींद्र पासवान, परबत्ता के सतीश प्रसाद सिंह, गायघाट के रघुनंदन प्रसाद सिंह, रानी सिंह, हथुआ के संजय कुमार मौर्या, फारूख खान, कुम्हरार के सुबोध कुमार, कुटुंबा के रंजीत कुमार, औरंगाबाद के संजीत कुमार चौरसिया, यशंवत लाल सत्यार्थी,कुढऩी के सुरजीत सुमन, अशरफ सानी, अभय कुमार, पूजा कुमारी, कुमार विजय, भोर जानकी देवी, एवं बेलदौर बिंदू देवी के चुनाव लडऩे पर आयोग ने रोक लगायी है।