रायपुर। पीपीई किट (कवर ऑल ब्रीथेवल फेब्रिक) के निविदा में बड़ी गड़बड़ी (CGMSC ) सामने आई है। निविदा में कूचरचित दस्तवेज प्रस्तुत करने वाली कंपनी को एल-1 घोषित कर 6 लाख किट की निविदा जारी करने की तैयारी की जा रही है।
जबकि खुद टेंडर शर्तों में साफ लिखा है कि टेंडर में गलत जानकारी देने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। इसके अलावा फर्म की डिपाजिट मनी भी राजसात करने की कार्रवाई की जाएगी। बतादें कि ई प्रिक्योरमेंट निविदा क्रमांक 67832 जो की पीपीई (कवर ऑल ब्रीथेवल फेब्रिक) किट की निविदा 17 सितंबर को बुलाई गई थी। इसकी अंतिम तिथी 21 सितंबर रखी गई थी। जिसमें कंपनी फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए।
5 कंपनियां हुई चयनित
निविदा में 14 निविदाकारों ने भाग लिया। प्राथमिक स्तर पर कुल 11 कंपनियों के दस्तावेज (CGMSC)सही पाए गए। फिर उनमें से सेम्पल जांच और सर्टीफिकेट की जांच में कुल 5 निविदाकार ही सफल घोषित पाए गए। जिसमें पीडी इंटरप्राइजेज की दर सबसे कम 289.95 आई। कंपनी द्वारा निविदा में जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए वह पूर्णत: फर्जी है। इसी प्रकार एल-2 आने वाली फर्म के दस्तावेज में कहीं भी 90 एमएम का उल्लेख नही है।
ऐसे की कूट रचना
निविदा में कवर ऑल ब्रीथेवल फेब्रिक नॉन लेमिनेटेड कपड़ा का मंगा गया था। एल-1 आने वाली फर्म पीडी इंटरप्राइजेस (ऑथराईज्ड मेसर्स बीकेएस मार्केटिंग एंड इनोवेशन प्रा.लि.) ने भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से नॉन लेमिनेटेड कपड़े की टेस्ट करवाई ही नहीं। फर्म ने लेमिनेटेड कपड़े की टेस्टिंग डीआरडीओ से करवाई थी। डीआरडीओ ने सर्टीफिकेट भी उसी का दिया।
सीजीएमएससी ने अपनी निविदा में नॉन लेमिनेटेड पीपीई किट मांगी। इसके बाद कंपनी ने डीआरडीओ के सर्टीफिकेट क्रमांक कोविड-19/आईएनएमएएस/2405-20/- बीकेएस 01 जिसमें लेमीनेटेड लिखा है उस सर्टीफिकेट में काट-छांट करके उसे नॉन लेमीनेटेड कर दिया। इसी फर्जी दस्तवेज से निविदा में चयनित भी हो गया।
निविदा जारी होने से पहले ही पता था फर्म को
डीआरडी की टेस्ट रिपोर्ट के लिए जो शपथ पत्र दिनक 10 सितंबर 2020 और 11 सितंबर को दिया था जिसमे इसमे साफ-साफ से सीजीएमएससी निविदा के लिए प्रस्तुत लिखा था। जबकि टेंडर 17 सितंबर को ऑनलाइन दिखना शुरू हुआ। अब सवाल यह है कि 10 सितंबर कों कंपनी को कैसे पता की 17 सितंबर को सीजीएमससी पीपीई किट की निविदा जारी करने जा रहा है।
यह है नियम
निविदा के अनुसार फर्जी दस्तावेज जमा करने वाली फर्म पीडी इंटरप्राइजेज को काली सूची में डालकर उसकी सुरक्षा निधी राजसात करने का प्रावधान है।
इनका है कहना
मामलें में CGMSC के प्रबंध संचालक सीआर प्रसन्न का कहना है, कि अभी किसी भी कंपनी को वर्क आर्डर जारी नहीं किया गया है। यदि गड़बड़ी हुई तो कंपनी पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी ओर बीकेएस मार्केटिंग एंड इनोवेशन प्रा.लि. के एमडी सुशीलशोरी का कहना है, कि हां सर्टीफिकेट में कांट-छांट हुई है। हमारे आपरेट से गलती हुई है। हमारे पास लेमिनेटेड क्लाथ प्रमाण पत्र डीआरडीओ से मिला है। हमसे गलती जरूर हुई है लेकिन हमारा इंटेशन गलत नहीं था। हमारे डाले गए प्राईस से सरकार को ही फायदा होगा। पीडी इंटर प्राइजेस के एमडी अजय अग्रवाल ने भैय जी न्यूज से चर्चा के दौरान कहा, कि हमारा प्रोडक्ट नहीं है, हमे बीकेएस मार्केटिंग एंड इनोवेशन ने टेंडर के लिए अथॉर्टी दी थी। आप उन्हीं से बात कर लीजिए।