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CM हाउस में हरेली का उत्साह: हल-कुदाल की पूजा की, गेंडी-रहचुल चढ़े सीएम

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रायपुर। छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा का पहला त्यौहार हरेली (Hareli) आज पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। रायपुर के मुख्यमंत्री निवास में आज हरेली का उत्साह छाया रहा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने परिवार और मंत्रियों के साथ लोक देवता, तुलसी, गोधन और कृषि यंत्रों की पूजा की।

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गायों-बैलों को गुड़ और पारंपरिक पकवान खिलाए। गेंडी और रहचुल चढऩे के साथ गिल्ली-डंडे के खेल में भी अपने हाथ दिखाए। हरेली पर मुख्यमंत्री निवास के एक हिस्से को गांवों की तरह सजाया गया है। वहां प्रदेश भर से लोक कलाकार आए। हालांकि, कोरोना प्रतिबंधों की वजह से कार्यक्रम को सबके लिए नहीं खोला गया था। चुनिंदा कलाकारों, मेहमानों और मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों की मौजूदगी में हरेली का उत्सव शुरू हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के साथ लोक देवता, तुलसी, गणेश और गोधन की पूजा की। उसके बाद कृषि यंत्रों की पूजा की गई।

पारंपरिक ड्रेस पहनकर किया नृत्य

पूजा पाठ के बाद मुख्यमंत्री कलाकारों के बीच पहुंचे। वहां उन्हें पारंपरिक परिधान (Hareli) पहनाए गए। मुख्यमंत्री, बांस से बन गेंडी पर चढ़े और पर्व से जुड़ी परंपराओं का पालन किया। बाद में उन्होंने गिल्ली-डंडा खेला और रहचुल पर बैठे। उनके साथ मंत्री मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया और डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम भी रहचुल पर बैठे। रहचुल पर मंत्रियों के साथ सीएम भी बैठे।

सबसे बड़ा पर्व है हरेली

छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति में हरेली (Hareli) सबसे बड़ा लोकपर्व है। यह फसली सीजन का पहला त्यौहार है। मान्यता है कि इस दिन तक धान की बुवाई का काम पूरा हो चुका होता है। ऐसे में किसान अपने कृषि यंत्रों को धुलकर उनकी पूजा आदि कर रख देता है। गायों-बैलों को नहला-धुलाकर पूजा की जाती है। उनकी सेवाओं के धन्यवाद स्वरूप उन्हें विशेष भोजन दिया जाता है। पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है।