कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने एसईसीएल के सुराकछार गेट के सामने सीएमडी का पुतला दहन किया। ये पुतलादहन बलगी कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग और भू-धसान के कारण खेती-किसानी की बर्बादी का पिछले चार सालों का मुआवजा न मिलने के विरोध में किया गया।
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गौरतलब है कि कोयला खनन का दंश यहां के रहवासियों को विस्थापन के रूप में ही नहीं झेलना पड़ता है, बल्कि खेती-किसानी और गांव-घरों की बर्बादी के रूप में भी वे इसकी मार झेल रहे हैं।
सुराकछार बस्ती की कृषि भूमि में डि-पिल्लरिंग के कारण दरारें इतनी गहरी हो चुकी है कि अब इस जमीन में किसान कोई भी कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके एवज में एसईसीएल ने यहां के किसानों को नौ सालों तक मुआवजा दिया था, लेकिन पिछले चार सालों से उसने इस मुआवजे का भुगतान नहीं किया है।
चार सालों से नहीं मिला फसल का मुआवजा, माकपा-किसान सभा ने फूंका CMD पुतला@secl_cil @KorbaDist @Ravindra #Farmer #CPI pic.twitter.com/9y5LBRyyFN
— bhaiyajinews.com (@BhaiyajiCom) July 29, 2021
माकपा और किसान सभा द्वारा आंदोलन की चेतावनी के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने मुआवजा वितरण के लिए दस दिनों की मोहलत मांगी है, लेकिन आंदोलनकारी नेताओं ने घोषणा की है कि मुआवजा न मिलने तक हर दूसरे दिन एसईसीएल के सीएमडी का पुतला दहन किया जाएगा। अब 31 जुलाई को सुराकछार बस्ती में पुतला दहन आंदोलन किया जाएगा।
चार सालों से नहीं मिला मुआवजा
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने एसईसीएल प्रबंधन पर मुआवजा देने में टाल-मटोल करने तथा प्रभावित किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यहां के फसल नुकसानी का हर वर्ष मुआवजा देना एसईसीएल का स्थाई काम है, इसके बावजूद पिछले चार सालों से मुआवजा देने के काम को कार्यालयीन प्रक्रिया के नाम पर रोका जा रहा है।
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उन्होंने इस मुआवजे के लिए उच्चतर स्तर से स्थाई स्वीकृति लेने की मांग करते हुए कहा है कि अब किसान पिछले चार सालों के ब्याज भुगतान की अदायगी की भी मांग करेंगे।माकपा नेता ने कहा है कि यदि दस दिनों के अंदर किसानों का मुआवजा भुगतान नहीं हुआ, तो किसानों को बाध्य होकर खदान का काम रोकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।